भारत के अलग-अलग राज्यों में विभिन्न जनजातियों में बंटे आदिवासी रहते हैं। हालांकि उनकी संस्कृतियां और परंपराएं अलग-अलग हैं। परंतु, साझा तथ्य यह है कि सभी प्रकृति पूजक हैं। यह एक सूत्र है, जिसके जरिए देश भर के आदिवासी खुद को जोड़ सकते हैं और मजबूत ताकत बन सकते हैं। बता रहे हैं हिमांशु कुमार
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इस यात्रा संस्मरण में लेखक जितेंद्र भाटिया बता रहे हैं कि पूरे पूर्वोत्तर में एक खास तरह की जहरीली राजनीति की जा रही है। वे यह आशंका भी व्यक्त कर रहे हैं कि आने वाले समय में इसका विपरीत असर पड़ेगा और यहां के लोगों का जनजीवन प्रभावित होगा
मेघालय में 2004 तक ओबीसी प्रमाण पत्र निर्गत किये जाते थे। लेकिन बाद में यह बंद कर दिया गया है। इसके विरोध में मेघालय के एक ओबीसी संगठन ने ज्ञापन सौंप कर सवाल उठाया है। फारवर्ड प्रेस की खबर :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics