एक समय था जब विनोद काम्बली को सचिन तेंदुलकर से अधिक प्रतिभासंपन्न माना जाता था। लेकिन बाद में उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। यहां तक कि उनके उपर जातिगत टिप्पणियां भी की गयीं। आज भी सवर्णों के मन में मेरिट को लेकर भ्रांतियां कायम हैं। उन्हें अपनी सोच में बदलाव लाना चाहिए, बता रहे हैं वरुण ग्रोवर