रामविलास पासवान के उत्तरकाल में दलित उनके लिए केवल वोट बन गए थे। वे उनके सवालों को लेकर खामोश ही रहे। फिर चाहे दलितों के खिलाफ कोर्ट से आए आदेश हों, संविधान पर हमला हो या ऊना में हुई लिंचिंग। बता रहे हैं बापू रावत
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