शक्तिसंपन्न तबकों ने धीरे-धीरे दलित, आदिवासियों को मिले आरक्षण को झेलने की तो मानसिकता विकसित कर ली, किन्तु जब मंडल की सिफारिशों पर 1990 में पिछड़ों को आरक्षण मिला तो शक्तिसंपन्न तबके के युवाओं ने आत्मदाह से लेकर राष्ट्रीय संपत्ति की दाह तक का सिलसिला शुरू कर दिया। बता रहे हैं एच. एल. दुसाध