महाड़ आंदोलन के दौरान डा. आंबेडकर के द्वारा दलित समुदाय के लिए दिये गये तीनसूत्री सन्देश, गंदे व्यवसाय या पेशे को छोड़कर बाहर आना, मरे हुए जानवरों का मांस खाना छोड़ना, और अछूत होने की अपनी स्वयं की हीनभावना से बाहर निकलना और खुद को सम्मान देना, की ऐतिहासिकता और उसके मनोवैज्ञानिक प्रभाव की व्याख्या कर रहे हैं संजय जोठे