आस्थावादी कहता है, जो कहा गया है, उसपर विश्वास करो। धर्मग्रंथों पर संदेह करना पाप है। आस्था जितनी ज्यादा संदेह-मुक्त हो, उतनी ही पवित्र मानी जाती है। जबकि ज्ञान की खोज बगैर संदेहाकुलता के संभव ही नहीं है। ओमप्रकाश कश्यप का विश्लेषण
–