बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे बाबूलाल मधुकर अपने मगही उपन्यास ‘रमरतिया’ और ‘अलगंठवा’ चर्चित रहे। मगही में उनका एकांकी संकलन ‘नयका भोर’ और मगही महाकाव्य ‘रुक्मिणी की पांती’ प्रकाशित है। हिन्दी में उनके दो काव्य संग्रह ‘अंगुरी के दाग’ और ‘मसीहा मुस्कुराता है’ नाम से प्रकाशित है। उनसे विशेष बातचीत की है युवा साहित्यकार व समालोचक अरुण नारायण ने