लेखक अरविन्द जैन बता रहे हैं तलाक की कहानी। उनके मुताबिक, तलाक के लिए बने कानूनों में पेचीदगियों की कोई कमी नहीं। लिहाजा जिस रफ्तार से कानून बनते जा रहे हैं, परिवारों के टूटने की रफ्तार में भी गुणोत्तर वृद्धि हुई है
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