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प्रकाश आंबेडकर के अनुसार सीएए-एनपीआर-एनआरसी आरएसएस के मूल वैदिक मनुवादी दर्शनशास्त्र को भारत में पुनः स्थापित करने का ज़रिया हैं। यदि भारत में यह दमनकारी कानून लागू हुआ तो विश्व समुदाय के बीच नागरिकता के सवाल पर नकारात्मक संदेश जाएगा। संभव है कि दूसरे देशों में रहने वाले भारतीयों को मिलने वाले अधिकार छीने लिए जाएं
सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में अब दलित, पिछड़े,आदिवासी व मुसलमान एकजुट हो रहे हैं। ऐसी ही एकजुटता बीते 4 मार्च को प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्व में दिल्ली के जंतर-मंतर पर देखने को मिली। सुशील मानव की खबर
सीएए और एनआरसी को लेकर दिल्ली में दंगे के शिकार फारवर्ड प्रेस से जुड़े स्वतंत्र पत्रकार सुशील मानव हुए। दिल्ली के तनावपूर्ण मौजपुर इलाके में उन्मादी भीड़ ने उन्हें बुरी तरह मारा और पिस्तौल की नोंक पर हनुमान चालीसा व गायत्री मंत्र पढ़ने को कहा। पत्रकारों पर हमला प्रेस की आजादी पर सीधा हमला है
How did the exclusionary citizenship law of today come to be? Goldy M. George traces the birth of the Citizenship Act and the several amendments it underwent over the years and explains the implications of the hotly debated latest amendment
गत 10 जनवरी, 2020 से देश में सीएए को लागू कर दिया गया है। यह इसके बावजूद कि देश भर में इसका व्यापक विरोध हो रहा है और कई राज्य सरकारों ने इसे लागू नहीं करने की बात कही है। इन सबके बीच गोल्डी एम. जार्ज बता रहे हैं कि बहिष्करण पर आधारित नया नागरिकता कानून क्यों और कैसे बनाया गया? साथ ही यह भी कि इस कानून में ताजा परिवर्तनों के क्या निहितार्थ हैं.