बहुजन साहित्य का अपना समृद्ध इतिहास रहा है। उसमें चार्वाक, बुद्ध, संत परंपरा के संतों ने काफी मात्रा में साहित्य का निर्माण किया। संत नामदेव, संत गाडगे महाराज, संत सावता, संत चोखोबा, संत तुकाराम की इस संत परंपरा ने मौलिक काम किया है। श्रवण देवरे का भाषण :