आज जब पूरे देश में दलित विमर्श और दलित आंदोलन की धूम है, तो हमें कहानीकार, उपन्यासकार और नाटककार मधुकर सिंह याद आते हैं। हमें इस साहित्यिक पुरोधा को याद करना चाहिए और उनके द्वारा रचित साहित्य के आलोक में सामाजिक, राजनीतिक आंदोलन की पड़ताल करने की जरूरत है। बता रहे हैं कुमार बिन्दू