दलित कविताओं के मूल में सामाजिक भेदभाव जनित पीड़ा और हर प्रकार की वंचनाएं हैं। लेकिन वे केवल इस तक सीमित नहीं हैं। दलित कविताओं में शोषण-उत्पीड़न से मुक्ति के स्वर भी हैं। द्विजवादी काव्य के बरक्स दलित कविताओं के विषय, शिल्प और निहितार्थ बता रहे हैं कालीचरण ‘स्नेही’