Ram Avdesh Singh was a politician committed to social justice. He spoke for social justice in the legislature and fought for social justice on the streets. He was instrumental in getting the Bihar and central governments to implement reservations for OBCs
डाॅ. लोहिया के कर्मठ अनुयायी रहे राम अवधेश सिंह कर्पूरी ठाकुर के मजबूत हमराही बनकर मुंगेरीलाल आयोग की अनुशंसाओं के अनुरूप पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण को लागू कराने का मार्ग प्रशस्त किया। वहीं 1977 ई. में जनता पार्टी की सरकार के समक्ष उन्होंने संसद में कालेलकर आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग रखी। बता रहे हैं सत्यनारायण यादव
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मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू करने संबंधी फाइल केंद्रीय कल्याण सचिव और कैबिनेट सचिव के बीच झूलती रही। हर बार कैबिनेट सचिव फाइल में कुछ प्रश्न व आपत्तियां (जो कि अस्पष्ट होतीं थीं) लगाकर कल्याण सचिव को वापस भेज देते थे
पी. एस. कृष्णन, एस.आर. शंकरन, डॉ. बी.डी. शर्मा और डॉ. भूपिंदर सिंह की यह कहानी बता रहे हैं स्वयं पी.एस. कृष्णन। उनके मुताबिक, आईएएस अधिकारियों को प्रताड़ना के खतरे से डरे बगैर, निर्भीकता से पददलितों के लिए काम करना चाहिए। अगर उन्हें वंचित वर्गों के अधिकारों के लिए निष्ठापूर्वक और बिना कोई समझौता किए काम करने के लिए प्रताड़ित किया जाता है तो इसे उन्हें अपने सम्मान और अपनी सेवाओं की मान्यता के रूप में देखना चाहिए
पी. एस. कृष्णन ने आईएएस अधिकारी बनने के बाद अपनी पोस्टिंग के दौरान ही सामाजिक न्याय के पक्ष में कई पहल की। इसके बदले उन्हें कई बार अपमान भी झेलना पड़ा। फिर एक दिन ऐसा भी हुआ कि आंध्र प्रदेश सरकार ने उन्हें केंद्रीय सेवा में भेजने की सिफारिश की
भारत में नौकरशाही, समूल सामाजिक परिवर्तन की राह में बाधा नहीं बन सकती अगर राजनीतिज्ञ, विशेषकर वे जो सत्ता में हैं, क्रन्तिकारी सामाजिक परिवर्तन के पक्षधर और अन्यायपूर्ण सामाजिक व्यवस्था को उखाड़ फेंकने के प्रति प्रतिबद्ध हों
सवर्णों में गरीबी सामूहिक सवाल नहीं, व्यक्तिगत मसला है। इसलिए सरकार का यह तर्क अनुचित है। वैसे भी आरक्षण का प्रावधान उनके लिए है जो अपने बूते अपनी भागीदारी हासिल नहीं कर सकते
P. S. Krishnan, a former secretary to the Government of India, has worked on many laws and projects for the welfare of the Bahujans, whether it is the draft report of the Mandal Commission or the Bill that became the SC-ST Act. Dalit writer Mohandas Namishray remembers his interactions with Krishnan
भारतीय प्रशासनिक सेवा में वरिष्ठ अधिकारी रहे पी. एस. कृष्णन भारत में बहुजनों के लिए बने कई कानूनों और योजनाओं के सृजनकार रहे। फिर चाहे वह मंडल कमीशन का मसौदा हो या फिर एससी-एसटी एक्ट का। उनसे जुड़े अपने संस्मरण सुना रहे हैं दलित लेखक मोहनदास नैमिशराय :
P. S. Krishnan, a former secretary to the Government of India, has worked on many laws and projects for the welfare of the Bahujans, whether it is the draft report of the Mandal Commission or the Bill that became the SC-ST Act. Dalit writer Mohandas Nemishrai remembers his interactions with Krishnan
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
पी.एस कृष्णन का कहना है कि हमारे देश मेंं कोई यह मानने को तैयार नहीं होता कि कोई जाति से मुक्त हो सकता है। मेरी जाति भी लोग जानने की कोशिश करते थे। ऐसे लोगों में केंद्रीय मंत्री से लेकर नौकरशाह तक शामिल थे :