उत्तर भारत के शोषितों-पीड़ितों को द्विजवादियों की गुलामी से मुक्त कराने के लिए पेरियार ललई सिंह यादव ने आजीवन संघर्ष किया। लेकिन आज उत्तरप्रदेश में दलित-बहुजनों की राजनीति करने वाले अखिलेश-मायावती के लिए परशुराम महत्वपूर्ण हो गए हैं। आर. के. गौतम का विश्लेषण