मात्र 23 साल की उम्र में सावित्रीबाई फुले का पहला काव्य संग्रह ‘काव्य फुले’ आ गया था, जिसमें उन्होंने धर्म, धर्मशास्त्र, धार्मिक पाखंड़ो और कुरीतियों के खिलाफ जमकर लिखा। औरतों की सामाजिक स्थिति पर कविताएं लिखीं और उनकी बुरी स्थिति के लिए जिम्मेदार धर्म, जाति, ब्राह्मणवाद और पितृसत्ता पर कड़ा पर प्रहार किया। बता रही हैं अनिता भारती