मोहनदास नैमिशराय बता रहे हैं कि दलित पैंथर की सफलता में दलित साहित्य की अहम भूमिका रही। मसलन नामदेव काव्य संग्रह ‘गोलपीठा’ जो कि 1972 में प्रकाशित हुआ। जिसके आने पर मराठी साहित्य जगत में एक भूचाल सा आ गया। बहुत से सवर्ण लेखकों और समीक्षकों को बुरा लगना लाजमी था