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लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम सामने आ चुके हैं। भाजपा गठबंधन ने पंजाब और दक्षिण के कुछेक राज्यों को छोड़ पूरे देश में प्रभावशाली जीत दर्ज किया है। खास बात यह है कि इस बार वंशवादियों को करारा झटका भारत की जनता ने दिया है
The ‘Time’ cover story on Modi is more a critique of independent India’s society and politics rather than a critique of Modi himself, whom the author, Aateesh Taseer, considers symptomatic of all that has gone wrong here
The London-based magazine cites the Pulwama attack as the turning point and says Prime Minister Narendra Modi’s relentless nationalist rhetoric has flummoxed the opposition
लन्दन से प्रकाशित इस पत्रिका का मानना है कि पुलवामा हमले ने आम चुनाव को एक निर्णायक मोड़ दिया. पत्रिका यह भी कहती है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राष्ट्रवाद के मुद्दे को लगातार उठाने से विपक्ष सकते में है
दिल्ली में कांग्रेस आम आदमी पार्टी से गठबंधन नहीं करेगी और अपने बूते सभी सातों सीटों पर चुनाव लड़ेगी। आखिर क्या वजह रही कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की इच्छा के बावजूद गठबंधन होते-होते रह गया
कहा जाता रहा कि राहुल पप्पू हैं, अपनी इतने पर भी अपने पांचवें साल में ही नरेंद्र मोदी हांफते नज़र क्यों आ रहे हैं। उनकी छप्पन इंच की छाती सिकुड़ती-सिमटती नज़र क्यों आ रही है। अब ऐसे में जब प्रियंका की एंट्री हुई है, तब वह परेशां क्यों हैं?
आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर देश की राजधानी दिल्ली में भी गठबंधन के प्रयास तेज हो गए हैं। कभी मुख्य प्रतिद्वंद्वी रहे आप और कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व आपस में मिलकर चुनाव लड़ने पर विचार कर रहे हैं ताकि भाजपा को दिल्ली बदर किया जा सके। हालांकि पेंच सीटों के बंटवारे को लेकर फंसा है
उत्तर-प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के हाथ मिलाने की खबर आ रही है। वहीं कांग्रेस से दूरी बनाए रखने की भी बात सामने आ रही है। आखिर क्या वजह है कि सपा-बसपा नहीं चाहती कि कांग्रेस उनके गठबंधन में शामिल हो
The Congress’ victories and Modi-Shah duo’s defeats in Rajasthan, Madhya Pradesh and Chhattisgarh Assembly elections are being put under the microscope. Dalit voters, savarna voters and Rahul Gandhi’s soft Hindutva are being bandied about as possible reasons but no one is talking about the OBCs, who are the real force behind Congress’ triumphs. Arun Kumar’s analysis
राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को मिली जीत और मोदी-शाह की जोड़ी को मिली हार के कारणों की तलाश की जा रही है। दलित वोटरों , सवर्णों की नाराजगी और राहुल गांधी के सॉफ्ट हिंदुत्व पर चर्चा तो हो रही है, लेकिन ओबीसी की बात नहीं की जा रही है, जिसके कारण कांग्रेस को जीत नसीब हुई है। अरूण कुमार का विश्लेषण :
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति के बैनर तले हजारों किसान बीते 30 नवंबर 2018 को दिल्ली में एकत्रित हुए और संसद मार्ग तक मार्च निकालकर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की। इस अवसर पर विपक्षी दलों के नेता भी किसानों के साथ नजर आए। फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
मध्य प्रदेश में बसपा का चेहरा बन चुके देवाशीष जरारिया ने हाल ही में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली। उनके इस कदम पर विभिन्न तरह की प्रतिक्रियायें सामने आ रही हैं। इसके अलावा कांग्रेस के साथ वे बहुजन की राजनीति कैसे कर सकेंगे, यह सवाल भी उठाया जा रहा है। प्रस्तुत है देवाशीष जरारिया से खास बातचीत