सुल्तानपुर के अहिरी फिरोजपुर गांव में पैदा हुये विद्रोही की कविताएं तो क्रांतिकारी तिजारत का असबाब बन गईं लेकिन उनके ऊपर पहली किताब बनारस के अहिरान चमांव से छपी और अब जब छप ही गई तो खुशी मनाए जाने की जगह उनको यादव बनाए जाने का दुख मनाया जा रहा है। रामजी यादव का विश्लेषण