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भूतपूर्व केंद्रीय मंत्री व दलित नेता रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान बिहार के पहले नेता नहीं हैं जिन्होंने आरएसएस का आसरा लिया है। उनके पहले नीतीश कुमार और स्वयं रामविलास पासवान ने भी संघ का दामन थामा है। यह अलग बात है कि इन दोनों ने स्वयं को हनुमान घोषित नहीं किया। बता रहे हैं नवल किशोर कुमार
1990 के बाद यह पहला मौका है जब लालू प्रसाद, शरद यादव और रामविलास पासवान चुनाव में अनुपस्थित हैं। लेकिन क्या यही वजह है जिसके कारण सामाजिक न्याय इस बार के विधानसभा चुनाव में हाशिए पर है? नवल किशोर कुमार का विश्लेषण
भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य डॉ. संजय पासवान का कहना है कि चाहे वह रामविलास पासवान हों या रामदास आठवले सभी अपनी-अपनी पार्टियों के दलित नेता हैं। हम उन्हें राजनीति की मुख्यधारा में ला रहे हैं
भारत सरकार के पूर्व सचिव पी.एस. कृष्णन ही वह शख्स थे जो 1 जनवरी 1979 को मंडल कमीशन के गठन से लेकर 16 नवंबर 1992 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसे क्रियान्वित किए जाने के संबंध में ऐतिहासिक फैसला दिए जाने तक पूरी तरह सक्रिय रहे
राजनीतिक रैलियों का मकसद ही कुर्सी वापसी का संकल्प दुहराना होता है। इसमें नेता के साथ पार्टी और परिवार की राजनीति सुरक्षा का भरोसा भी छुपा होता है
गरीब सवर्णों के आरक्षण को मायावती से लेकर रामविलास पासवान और रामदास आठवले तक ने समर्थन किया है। इस प्रकार इस विधेयक ने दलित समुदाय के बीच से उठती आवाज़ों को एक किया है। इसके पीछे एक कारण है। दरअसल, देश में दलित नेतृत्व गरीब जनता द्वारा गरीब जनता के लिए है
रामविलास पासवान अब एनडीए का हिस्सा बने रहेंगे। अमित शाह के साथ मुलाकात के बाद जो तस्वीर बनती दिख रही है, उसके अनुसार इस बार उनके पुत्र और दोनों भाईयाें के अलावा पत्नी रीना पासवान भी चुनाव लड़ेंगी। हालांकि अभी औपचारिक घोषणा नहीं हुई है। वजह यह कि जदयू और भाजपा के बीच भी 9 सीटों का मामला सलटना शेष है
The social and civil boycott of the Valmiki victims of casteist violence in Mirchpur, Haryana, violates the basic tenets of democracy, argues Anil Kumar, while underlining the ills of this pernicious practice
हरियाणा के मिर्चपुर में जातीय दंगे का शिकार हुए दलित वाल्मीकि परिवार के सामाजिक और नागरिक बहिष्कार को लोकतंत्र के बुनियादी उसूलों के खिलाफ बताते हुए अनिल कुमार उनके खिलाफ सामाजिक भेदभाव के विविध पहलुओं को स्पष्ट कर रहे हैं
The association of these Dalit leaders, as well OBC leaders such as Upendra Kushwaha and Anupriya Patel – known for their vocal advocacy of social justice – with the NDA or directly with the BJP, led to the party’s smashing electoral victory last May
एनडीए या सीधे भारतीय जनता पार्टी में इन दलित नेताओं व उपेन्द्र कुशवाहा और अनुप्रिया पटेल जैसे समाजिक न्याय के मुद्दे पर मुखर रहे ओबीसी राजनेताओं के आने से मई में भारतीय जनता पार्टी की अभूतपूर्व जीत हुई
It was part of a well-planned strategy of the BJP to have them compromise on their declared objectives and bring them on board
इन नेताओं को इनकी घोषित राजनीति से समझौते की ओर अग्रसर करते हुए अपने मंच पर लाना भाजपा की रणनीति का हिस्सा है