मिथकीय ग्रंथ रामायण में वर्णित रावण के संबंध में बौद्ध धर्म से लेकर गोंड परंपरा तक में अनेक व्याख्याएं हैं। इन व्याख्याओं के निहितार्थ व मनुवादी समाज की वैचारिकी को चुनौती देती चंद्रिकाप्रसाद जिज्ञासु की पुस्तक ‘रावण और उसकी लंका’ का पुनर्पाठ कर रहे हैं कंवल भारती
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बहुजन साप्ताहिकी के तहत इस बार पढ़ें छत्तीसगढ़ व बिहार में महिषासुर व रावण को कृतज्ञतापूर्वक याद करने की खबरें। साथ ही एक खबर एयर इंडिया के कर्मियों के संबंध में जिनके उपर टाटा समूह ने गाज गिरा दी है
बहुजन साप्ताहिकी के तहत सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र को फटकार के अलावा पढ़ें दिल्ली दंगे की सुनवाई कर रहे जज विनोद यादव के तबादले, छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के द्वारा रावण दहन व महिषासुर वध पर रोक लगाने की मांग तथा झारखंड में मॉब लिंचिंग के शिकार रहे तबरेज अंसारी के परिजनों को न्याय दिलाने हेतु अली अनवर द्वारा हेमंत सोरेन को लिखे पत्र के संबंध में
28 सितंबर, 2017 को लोकेश सोरी ने छत्तीसगढ़ ही नहीं, पूरे भारत में इतिहास रचा था। वे मानते थे कि बहुजनों के अपने सांस्कृतिक अधिकार हैं। उन्होंने महिषासुर और रावण वध करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। उनकी पहली पुण्यतिथि पर लोगों ने उनके आंदोलन को जारी रखने का संकल्प लिया
डॉ. मोतीरावण कंगाली गोंडी भाषा, साहित्य, संस्कृति और धर्म के अध्येता रहे। उनके गहन शोधों के कारण भारत की गैर-आर्य संस्कृति और परंपराओं को लेकर आज नयी समझ बनी है। उनके बारे में विस्तृत जानकारी दे रहे हैं सूर्या बाली
छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में आदिवासी युवाओं ने महिषासुर-रावण वध का विरोध करते हुए यात्रा निकाली। इस दौरान ब्राह्मणवादियों द्वारा थोपी जा रही परंपराओं का विरोध व पेसा कानून, वनाधिकार कानून और पांचवीं अनुसूची को लेकर जागरूकता अभियान चलाया गया। फारवर्ड प्रेस की खबर
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
छत्तीसगढ़ के आदिवासी अपने-अपने इलाके के थाना प्रभारी से लेकर राज्यपाल तक से मांग कर रहे हैं कि रावण-महिषासुर वध के प्रदर्शन पर रोक लगायी जाय क्योंकि वे उनके पुरखे हैं। लेकिन उनकी मांग को सरकारी अधिकारी अनसुना कर रहे हैं। फारवर्ड प्रेस की खबर :
रावण वध और महिषासुर मर्दन जैेसे वर्चस्ववादी द्विज परंपरा का विरोध पूरे देश में हो रहा है। अब इस सांस्कृतिक संघर्ष में भीम आर्मी भी मैदान में कूद चुकी है। वहीं अन्य बहुजन संगठनों ने आवाज बुलंद की है। फारवर्ड प्रेस की खबर :
पेरियारवादी संगठन थनथई पेरियार द्रविदर कषग़म का मानना है कि रावण और उनका भाई कुंभकरण द्रविड़ समाज से संबंध रखते थे और उत्तर भारतियों द्वारा दशहरे के मौक़े पर ‘अच्छाई पर बुराई की जीत’ के प्रतीक के रूप में रावण और कुंभकरण का पुतला दहन करना द्रविड़ समाज की अवहेलना और द्रविड़ समाज के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार है। बता रहे हैं संजीव
Periyarite organization Thanthai Periyar Dravidar Kazhagam believes that Ravan and his brother Kumbhakarn were of Dravidian origin and the North Indian tradition of burning their effigies as a symbol of the victory of good over evil is anti-Dravida and designed to humiliate the Dravidians. Sanjeev Kumar Tells
सूरजपुर के आदिवासियों में महिषासुर वध और रावेन दहन को लेकर काफी आक्रोश है। उन्होंने चेतावनी दी है कि दशहरा के दौरान इन कृत्यों की पुनरावृत्ति की गयी तो संबंधित व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया जाएगा। फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :