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जिज्ञासु के अनुसार कुछ सुधारवादी हिंदू संगठनों ने चमारों को ‘सूर्यवंशी चॅंवर-क्षत्रिय’ बताने का प्रयास किया था। यह इसी तरह का प्रयास था, जिस तरह का आर्यसमाज ने मेहतर समुदाय को रामायण के रचनाकार कवि वाल्मीकि से जोड़कर वाल्मीकि बना दिया। बता रहे हैं कंवल भारती
Kabir’s uniqueness is evident in his treatment of the ‘questions of caste’. Kabir opposes the caste system but copiously refers to the caste-based social structure. He rejects the idea of caste-based occupations but alludes to them metaphorically in his devotional poems, writes Kamlesh Verma
कबीर जयंती के मौके पर कमलेश वर्मा बता रहे हैं कि जाति के प्रश्नों पर विचार करते हुए कबीर का न्यारापन सामने आता है. वे जाति-व्यवस्था का विरोध करते हैं, लेकिन जाति-आधारित सामाजिक संरचना को सबसे ज्यादा व्यक्त भी करते हैं. वे जाति के अनुसार निर्धारित कर्मों को अस्वीकार भी करते हैं और भक्ति की ज़मीन से उन कर्मों को रूपक के रूप में प्रकट भी करते हैं
हाथ में गाडगा यानी खप्पर और झाड़ू लिए गाडगे जी जहां भी गंदगी पाते, साफ करने लगते। ऐसा कर वे बाहरी सफाई करते तो अपने विचारों से लोगों के मन में सैंकड़ों वर्षों से जमे मैल को साफ करते। उनका स्मरण कर रहे हैं ओमप्रकाश कश्यप
After a long time, an SC candidate emerged victorious from a general seat. Ashok Kumar Chaudhary, a Pansi, won the Kanti seat as an independent candidate. This happens very rarely as political parties never field SC candidates from General seats
वर्षों बाद इस बार सामान्य सीट से अनुसूचित जाति के एक निर्दलीय उम्मीदवार (कांटी से पासी जाति के अशोक कुमार चौधरी) ने आज़ाद उम्मीदवार बतौर जीत दर्ज की। ऐसा बहुत कम होता है क्योंकि प्रमुख राजनीतिक दल सामान्य सीटों से अनुसूचित जाति के लोगों को टिकट ही नहीं देते