कुछ संस्थानों के छात्र कोविड-19 के दौरान लैब मे रिसर्च कर रहे हैं। उन्हें भी फेलोशिप नही मिल पा रही है जिसके कारण उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अनेक शोधार्थियों ने यह भी बताया है कि वो लॉकडाउन के कारण अपनी एनुअल रिसर्च प्रोग्रेस रिपोर्ट जमा ही नहीं कर पाए हैं। फारवर्ड प्रेस की खबर
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दिल्ली और उत्तर भारत के राज्यों से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक आने वाले दिनों में अकादमिक और बौद्धिक के कई बड़े सम्मेलन, संगोष्ठियां और विचार-विमर्श के कार्यक्रम हो रहे हैं। इस हफ्तावार कॉलम में पढें आगामी आयोजनों का सिलसिलेवार ब्यौरा
अकादमियों यानी विचारों की दुनिया में कट्टरपंथियों की मौजूदगी और हिंदू-मुस्लिम विमर्श ही नहीं बल्कि मिट्टी-पत्थर आकाश से लेकर मानवीय रिश्तों और सामाजिक स्थितियों पर विचार हो रहा है। आगामी आयोजनों के इस स्तंभ में देखते हैं देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और अन्य संस्थानों में आने वाले दिनों में क्या-क्या खास हो रहा
गैर व्यावसायिक संगठन शोध संवाद रिसर्च फोरम की ओर से सितंबर महीने में जेएनयू में दो विशेष सेमिनार जेएनयू में आयोजित किए जाएंगे। फोरम की ओर से शोधार्थियों से शोध पत्र आमंत्रित किए गए हैं
आगामी 16 जनवरी को देश-भर के रिसर्च स्कॉलर्स दिल्ली में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के समक्ष प्रदर्शन करेंगे। इसकी वजह यह है कि सरकार ने उनकी फेलोशिप में वृद्धि की घोषणा नहीं की है
यूजीसी ने कथित तौर पर ‘मान्यता प्राप्त’ पत्र-पत्रिकाओं की सूची बनाने की प्रक्रिया में बदलाव का निर्णय लिया है। अब यह काम स्टैंडिंग कमेटी के बजाय एक दूसरी समिति करेगी। यूजीसी ने इसे केयर की संज्ञा दी है। फारवर्ड प्रेस की खबर :
The UGC has announced a change in the process of drawing up lists of ‘approved’ journals. Now, a committee, called CARE, will do this job instead of the standing committee of the commission. Forward Press reports
यूजीसी एकबार फिर अपने अपराध को स्वीकार करने के बजाय ‘पीयर रिव्यू’ का भ्रम फैला रहा है। ‘द हिन्दू’ में प्रकाशित इस खबर और बौद्धिक जगत में यूजीसी की आलोचनाओं के बारे में बता रहे हैं कमल चंद्रवंशी :
Instead of admitting its mistake, the UGC is trying to muddy the waters further by talking of peer review. A report published in The Hindu has contributed to its efforts. Kamal Chandravanshi investigates
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नकल कर पीएचडी या एमफिल करने वालों पर नकेल कसने की कोशिशें की है। साॅफ्टवेयर के जरिए शोधपत्रों की जांच के अलावा दोषी पाये जाने पर सजा का प्रावधान भी किया गया है। कमल चंद्रवंशी की रिपोर्ट :
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भारत का उच्च शिक्षा का क्षेत्र शोध और शोधपत्र निबंधों में दूसरों की नकल करके अपने को असली साबित करने की जुगत में लगा रहता है। इससे बचने के लिए मानव संसाधन मंत्रालय नया संशोधन लेकर आई है। इसमें छात्र और शिक्षक दोनों के खिलाफ सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। कमल चंद्रवंशी की रिपोर्ट
The higher education sector in India is replete with instances of researchers peddling the research work of others as their own. The Union HRD ministry has cleared a UGC notification to check such practices. The new norms prescribe strict punishment both for students and teachers. Kamal Chandravanshi reports
यूजीसी ने अपनी सूची से जहां कुछ कमजोर पत्रिकाओं को बाहर किया है, वहीं अनेक ऐसी पत्रिकाओं को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया है, जो उच्च रचनात्मकता और गुणवत्ता पूर्ण शोध के लिए जानी जाती हैं। प्रगतिशील और जातिवाद विरोधी रूझान रखने वाली इन पत्रिकाओं को मान्यता प्राप्त सूची से बाहर करने का निर्णय महज संयोग नहीं है
Among the delisted magazines and journals are those with poor content but there also those known for their highly creative and quality research. It is not a coincidence then that journals and magazines taking a progressive and anti-casteism stand have faced the axe