फारवर्ड प्रेस से बातचीत में प्रकाश आंबेडकर बता रहे हैं कि सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग के जरिए दलित-बहुजनों के हक की हकमारी हो रही है। समान काम के लिए असमान वेतन गैरसंवैधानिक है
In conversation with FORWARD Press, Prakash Ambedkar says that outsourcing of jobs by the government departments is encroaching upon the rights of Dalitbahujans and that ‘equal work, unequal pay’ is unconstitutional
बीते 3 मार्च को कंस्टीच्यूशन क्लब में आयोजित परिचर्चा में कोलेजियम सिस्टर पर सवाल उठाया गया। वक्ताओं ने कहा कि जब एक आईएएस दूसरे आईएएस को नहीं चुनते फिर जज आपस में मिलकर दूसरे जज को कैसे चुन सकते हैं?
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समाज के किसी भी वर्ग के नौजवान प्रतियोगिता परीक्षाओं के जरिए आईएएस और आईपीएस बन सकते हैं। लेकिन वे न्यायाधीश नहीं बन सकते। यह तब तक नहीं होगा, जब तक न्यायपालिका का लोकतांत्रीकरण नहीं होता। बता रहे हैं अनिल कुमार :
न्यायपालिका में परिवारवाद के खिलाफ आंदोलन छेड़ने के लिए भाजपा सांसद डॉ. उदित राज ने अपने संगठन अनुसूचित जाति/जनजाति संगठनों के अखिल भारतीय परिसंघ के बैनर तले आगामी 3 दिसंबर को दिल्ली में रैली का आह्वान किया है। फारवर्ड प्रेस की खबर :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
केंद्र की मोदी सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक अधिकार देने के अपने वादे को पूरा किया। लेकिन विपक्ष के हमले कम नहीं हुए हैं। ओबीसी को लेकर कई और मांगें राज्यसभा में तब उठाई गईं जब विधेयक को राज्यसभा में पेश किया गया। फारवर्ड प्रेस की खबर :
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राजस्थान हाईकोर्ट के नियमों के मुताबिक 250 अंकों की लिखित परीक्षा में कम से कम 40 प्रतिशत और साक्षात्कार के 30 अंकों में से न्यूनतम 7.5 अंक लाने वाले को ही नियुक्ति के योग्य माना जाता है। प्रथम स्थान पर रहे दलित वकील को लिखित में 250 में से 131 अंक प्राप्त हुए परंतु साक्षात्कार में उसे 30 में से सिर्फ 6 अंक ही दिए गए
According to the rules of Rajasthan HC, only candidates who score at least 40 per cent in the written test of maximum 250 marks and at least 7.5 marks in the 30-mark interview are considered eligible for appointment. The Dalit lawyer who stood first obtained 131 marks in the written exam but he was given only 6 marks in the interview