तमिलनाडु की दलित एवं पिछड़ी जातियों, जनजातियों के संदर्भ में, एकमात्र जाति-आधारित आरक्षण वह रास्ता है, जिसके माध्यम से समाज में सामाजिक-न्याय के लक्ष्य को यकीनन और पुख्ता तौर पर प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए कोयटंबूर स्थित पेरियारवादी पत्रिका ‘कात्तारू’ द्वारा तमिल में प्रकाशित पुस्तिका का अध्ययन किया जा सकता है। पुस्तिका का तमिल से अंग्रेजी में अनुवाद टी. थमाराई कन्नन ने किया है