यह सवाल बेमानी है कि यदि महिला किसी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति या फिर अन्य पिछड़ा वर्ग की होती तो क्या तब भी मीडिया का व्यवहार यही होता और वह समाज जो प्रियंका की आगवानी कर रहा था, वह तब भी ऐसे ही फूल बरसाता
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