आरएसएस जुमलों का कारखाना है, भाजपाई और हिंदू दलों के नेता जितने भी जुमले बोलते हैं, वे सब इसी कारखाने में तैयार होते हैं। हाल ही में इलाहाबाद में आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत ने इसी तरह फिर झूठ बोला
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आनंद तेलतुंबड़े का यह लेख कंवल भारती की किताब ‘आरएसएस और बहुजन चिंतन’ की भूमिका के रूप में संकलित है। फारवर्ड प्रेस द्वारा प्रकाशित इस विचारोत्तेजक किताब को गणतंत्र दिवस (26 जनवरी 2019) को ई-कामर्स वेबसाइटों पर बिक्री हेतु जारी किया जाएगा
This is Anand Teltumbde’s foreword to Kanwal Bharti’s forthcoming book ‘RSS aur Bahujan Chintan’. This thought-provoking work, published by Forward Press, will be available for purchase online on Republic Day (26 January 2019)
परंपरागत रूप से ऊंची हिंदू जातियों का धर्म नीची जातियों के हिंदुओं और मुसलमानों का छुआ खाना खाने से भ्रष्ट हो जाता है। क्या उन्हें पाप से बचाने के लिए होटलों के साइन बोर्ड में मालिक की जाति-धर्म और वेटरों के नेमप्लेट में उनके नाम के साथ उनकी जाति का उल्लेख किया जाएगा?
हाल के वर्षों में संघ के लोग फुले-आंबेडकर की मूर्ति पर माला और उनके विचारों पर ताला डालने के लिए सक्रिय हुए हैं। ऐसे में आवश्यक था, इस पूरे सन्दर्भ की समीक्षा की जाय और वस्तुस्थिति को स्पष्ट किया जाय। यह मुश्किल काम था। विद्वान लेखक-चिंतक कँवल भारती ने अपनी किताब ‘आरएसएस और बहुजन चिंतन’ द्वारा इसे संभव किया है
In the recent years, the Sangh and its men have garlanded the statues of Phule and Ambedkar but worked to negate their thoughts. Against this backdrop, it was paramount that someone reviewed the entire context and laid bare the reality. This was not going to be easy. But learned author and thinker Kanwal Bharti has accomplished this task through his book RSS aur Bahujan Chintan
फिल्म अभिनेता नसीरूद्दीन शाह ने क्या कुछ ऐसा कह दिया है जो वर्तमान में भारत में घटित नहीं हो रहा है? आखिर क्या वजह है कि आरएसएस समर्थक उन्हें देशद्रोही तक करार दे रहे हैं?
RSS supporters have branded the veteran actor as a traitor for pouring his heart out on a string of hate crimes carried out with impunity
राष्ट्रीय समिति की दो दिवसीय बैठक में शोषित समाज दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुनीराम शास्त्री ने कहा कि देश में सिद्धांतविहीन राजनीति के कारण दिनोंदिन स्थिति बिगड़ती जा रही है। उन्होंने भाजपा का नाम लिए बगैर कहा कि समाज में धर्मांधता को बढ़ावा दिया जा रहा है
बीते 25 नवंबर 2018 को तमाम प्रयासों के बावजूद विश्व हिंदू परिषद और शिवसेना अयोध्या में भीड़ नहीं जुटा सकी। जबकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा फैसला टाले जाने के बाद संघ और भाजपा के नेताओं द्वारा उन्माद बढ़ाने वाले बयान दिए गए। बता रहे हैं सुशील मानव :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
ट्विटर के सीईओ जैक डोरसे की आलोचना करने वाले वही हैं जो सबरीमाला मंदिर में माहवारी महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध के समर्थक हैं। आखिर पुरूष का शुक्राणु पवित्र और महिलाओं का अंडाणु अपवित्र क्यों? एक तरफ तालिबानी पितृसत्ता का विरोध और दूसरी ब्राह्मणवादी पितृसत्ता से प्रेम। कांचा आयलैया शेफर्ड का विश्लेषण :
शिमला का उच्च अध्ययन संस्थान निरर्थक प्रयोजनों में लगा है। टैगोर मेमोरियल व्याख्यान के तौर पर ऐसा विषय रखा गया है जिसका ना तो उच्च शिक्षा के बौद्धिक समाज से ताल्लुक है और ना ही समाज के यथार्थ से। ये व्याख्यान 14 नवंबर को दिल्ली में है। फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :
बहुजन चिंतक कांचा आयलैया शेफर्ड मानते हैं कि यदि जाति व्यवस्था को खत्म कर दिया जाए, तो आरक्षण की आवश्यकता केवल 30 वर्षों तक होगी। फिर समाज में बराबरी सुनिश्चित हो जाएगी। फारवर्ड प्रेस से विशेष बातचीत का संपादित अंश