The Matuas, including the Namasudras, make up around 2.5 crore of West Bengal’s 9.5-crore population. Clearly, they have been playing a decisive role in the assembly elections. Yet, they are on the margins. Lalit Kumar looks for answers
पश्चिम बंगाल में मतुआ समुदाय जिसमें नमो शूद्र समुदाय के लोग भी शामिल हैं, की आबादी ढाई करोड़ से अधिक है। जबकि बंगाल की कुल आबादी करीब 9 करोड़ है। यानी ये चुनाव में एक अहम भूमिका निभाते हैं। लेकिन इसके बावजूद वे हाशिए पर क्यों हैं? ललित कुमार का विश्लेषण
Against the backdrop of the RSS cozying up to the Kerala church establishment, Prof G. Mohan Gopal says there is a crying need for a new political movement in Kerala that will represent the interests of SEBCs, Dalits and Tribals and ally with the Muslims to safeguard Kerala from being taken over by the former feudals
आरएसएस, केरल के चर्च से अपनी नजदीकियां बढ़ाने का उपक्रम कर रहा है। प्रो. जी. मोहन गोपाल मानते हैं कि केरल को एक ऐसे नए राजनैतिक आंदोलन की दरकार है जिसमें सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों, दलितों और आदिवासियों के हितों का प्रतिनिधित्व हो और जो इन वर्गों और मुसलमानों को एक साथ लाकर पूर्व सामंतों को केरल पर हावी होने से रोक सके
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खासतौर पर मुझे लगता है कि मंडल राजनीति की जड़ें बहुजनों के ब्राह्मणवाद-विरोध की परंपरा तक गयी ही नहीं। यही मुझे ठोस वजह लगती है, जिसके कारण मंडल आंदोलन के जरिए हिंदुत्व का मुकाबला नहीं किया जा सका। बता रहे हैं रिंकू यादव
जब संसद में हमारा बहुमत होगा तो संविधान में क्रांतिकारी संशोधन करके 90 प्रतिशत सैकड़ा शोषितों की तरक्की के लायक संविधान बना देंगे। अमेरिकी अर्थशास्त्री डॉ. एफ. टॉमसन द्वारा जगदेव प्रसाद का महत्वपूर्ण साक्षात्कार
गांधी की हत्या से पेरियार दुखी थे। उन्होंने ‘कुदी आरसु’ में दो संपादकीय लिखे। उन्होंने लिखा कि वर्णाश्रम व्यवस्था के कायम रहने तक, जिसने गांधी को हमसे छीन लिया है, पंडित नेहरू तथा राजगोपालाचारी अपनी संपूर्ण निष्ठा, बुद्धिमानी और नि:स्वार्थ कोशिशों के बावजूद इस देश में सुशासन नहीं ला सकते
वह हिंदुत्व, जो संघ की विचारों के मूल में है, स्वतंत्रता का भी विरोधी है। वह मनुष्य पर सामाजिक निर्योग्यताएं लादता है। शूद्र हो अथवा स्त्री या कि अंत्यज, उनको किसी प्रकार की आज़ादी के पक्ष में हिंदुत्व नहीं दिखाई पड़ता है। बता रहे हैं भंवर मेघवंशी
मोहन भागवत से यह तो पूछा ही जाना चाहिए कि यदि हिंदू कभी देशविरोधी नहीं हो सकता, तो असीम त्रिवेदी और कन्हैया कुमार को देशद्रोह की धारा में क्यों गिरफ्तार किया गया था? क्या वे हिंदू नहीं हैं? कंवल भारती का विश्लेषण
भंवर मेघवंशी के मुताबिक, हिंदुत्व के ध्वजवाहकों और शोषकों का चोली-दामन का साथ रहा है। हिन्दू महासभा हो अथवा संघ अथवा जनसंघ व्यापारियों और राजे-रजवाड़ों की कृपा से अपने संसाधन जुटाते रहे हैं और उनके प्रति नरमदिल भी बने रहे हैं। आरएसएस का तो सबसे बड़ा आर्थिक सहयोग गुरु दक्षिणा के रूप में व्यापारी वर्ग से ही आता रहा है
Kerala needs another Dr Padmanabhan Palpu, and can do without a M.S. Golwalkar, to ensure just representation for those historically in the margins and to take democracy to new heights, writes Ajay S. Sekher
चूंकि संविधान देश के आदिवासियों, दलितों, अन्य वंचित पिछड़ी जातियों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के पक्ष में खड़ा है, इसलिए संघ उसे ही समाप्त कर देना चाहता है और यह कोई ढंकी-छिपी मंशा नहीं है, बल्कि बेहद स्पष्ट है। भंवर मेघवंशी का विश्लेषण