मलाई अरायनों के अछूत होने की धारणा के चलते उन्हें सबरीमाला मंदिर पर मालिकाना हक और वहां पूजन आदि करने के अधिकार से वंचित किए जाने पर उच्चतम न्यायालय को विचार करना चाहिए. उच्चतम न्यायालय, 22 जनवरी 2019 को इस मुद्दे पर दायर पचास से अधिक पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करेगा. पीएन संकरण का आलेख
The perceived untouchability of the Malai Arayans that led to them being stripped of their ownership of and observances in the Sabarimala Temple need to be revisited and examined by the Supreme Court, along with the 50-odd review petitions scheduled for hearing on 22 January 2019, writes P.N. Sankaran
केरल के सबरीमाला मंदिर के नियम-कानून ‘तंत्र समुच्यम’ नामक कथित ग्रंथ के अाधार पर बने हैं। इसी ग्रंथ में इस बात का उल्लेख है कि अयप्पा का मंदिर रजस्वला महिलाआें के अलावा शूद्रों और पशुओं से भी अपवित्र होता है। फारवर्ड प्रेस की खबर :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
सबरीमाला मंदिर में 10-50 आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खत्म किये जाने का फैसला केरल के सवर्ण हिंदुओं को नहीं पच रहा है। वे इसके विरोध में खड़े हो गये हैं। साथ ही कांग्रेस, आरएसएस और मुस्लिम लीग जैसी पार्टियां भी उसके साथ हैं। आखिर इस एकजुटता का राज क्या है? बता रहें हैं सिद्धार्थ :