ईसा मसीह की तरह संत गाडगे कहते हैं कि मानव सेवा ही ईश्वर सेवा है और मानव सेवा ही मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म है। वे जोतीराव फुले की तरह अज्ञानता को सबसे बड़ा अंधकार मानते हैं और शिक्षा को इस अंधकार को दूर करने वाली मशाल। स्मरण कर रहे हैं सिद्धार्थ
–
हाथ में गाडगा यानी खप्पर और झाड़ू लिए गाडगे जी जहां भी गंदगी पाते, साफ करने लगते। ऐसा कर वे बाहरी सफाई करते तो अपने विचारों से लोगों के मन में सैंकड़ों वर्षों से जमे मैल को साफ करते। उनका स्मरण कर रहे हैं ओमप्रकाश कश्यप
गाडगे बाबा लोकसेवा और स्वच्छता के प्रतीक थे, जिन्होंने झाड़ू, श्रमदान और पुरूषार्थ को अपना हथियार बनाया। उनके कार्यों को लोगों ने सराहा और उनका अनुसरण किया
He made broom stick, shramdan (voluntary labour) and vigour his instruments to execute work and influenced the masses. His actions become imitable for other