यह कहना कि रैदासजी पर हमला हुआ और उनके शरीर से सहस्र सूर्यों जैसा प्रकाश निकला, तो इसका अर्थ यह है कि उनको जिंदा जलाया गया था। अगर ऐसा हुआ था, तो उस हादसे में मीराबाई पर कोई आंच क्यों नहीं आई थी? पढ़ें, कंवल भारती की समीक्षा
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किताब के ‘निवेदन’ में जिज्ञासु ने बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है। बाबासाहेब के लाखों अनुयायियों ने बौद्ध बनकर कबीर और रैदास आदि संतों से अलगाव बना लिया था। बहुत से कबीर और रैदास पंथ के साधु भी बौद्ध भिक्षु बन गए थे, जिसके कारण, कबीर और रैदास आदि संत उनकी दृष्टि में अप्रासंगिक हो गए थे। कंवल भारती की समीक्षा
रैदास साहेब की राज्य की अवधारणा आज इसलिए प्रासंगिक है, क्योंकि आज आरएसएस और भाजपा एक ऐसे हिंदू राज्य का निर्माण कर रहे हैं, जिसमें वर्णव्यवस्था को लागू करने का गुप्त एजेंडा निहित है। इस सरकार की जनविरोधी नीतियों और विनिवेश की योजनाओं ने करोड़ों लोगों का रोजगार खत्म करके उन्हें भूखों मरने के लिए असहाय छोड़ दिया है। बता रहे हैं कंवल भारती