गांधीवादी, समाजवादी तथा वामपंथी सभी कह रहे हैं कि हमें संघ परिवार की विचारधारा से मुकाबला करने के लिए उदारवादी हिंदुत्व की छवि बनानी पड़ेगी, क्योंकि हमने लंबे समय तक इसे नकारा, जिससे इसका फायदा संघ परिवार ने उठा लिया। इन गैरतार्किक बयानों से संघ परिवार अति उत्साहित है, क्योंकि उसे लग रहा है कि अब उसकी हिंदू राष्ट्र की मंजिल बहुत ही निकट है। लेकिन इन उत्साहजनक ख़बरों के बावजूद अगर वह आज अपनी कट्टरपंथी छवि की जगह एक उदारवादी छवि दिखाना चाहती है, तो इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं? बता रहे हैं स्वदेश कुमार सिन्हा