संविधान संशोधन हो चुके हैं, नए कानून बनाये जा चुके हैं, अदालतें अपने फैसले सुना चुकीं हैं और सरकारें मार्ग-निर्देश जारी कर चुकी हैं। परन्तु इन सब के बाद भी, दिल्ली के जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) में अध्यापकों के लिए निर्धारित आरक्षण कोटा अब भी केवल कागजों पर है। विश्वविद्यालय प्रशासन एससी, एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों को बाहर रखने के लिए बहाने खोजने में अपने सिद्धस्तता का परिचय देता रहा है। बता रहे हैं अनिल वर्गीज