शिवा मल्हार की हिन्दी में न तो बांग्ला का पुट था और न ही किसी अन्य क्षेत्रीय भाषा की झलक थी। गोदना (टैटू बनाना) इनका पुश्तैनी पेशा है। इनके पास न तो वोटर कार्ड है, न आधार कार्ड और न राशन कार्ड। मतलब सरकारी सुविधाओं के लाभ का कोई भी आधार इनके पास नहीं है