The draft National Register of Citizens has been released. It has branded 40 lakh people as infiltrators. Is this the same India which accepted Sri Lankan Tamils and Buddhists from Tibet?
राष्ट्रीय नागरिक राजिस्टर का पहला मसौदा सामने आ चुका है। चालीस लाख लोगों को घुसपैठिया की संज्ञा दी गयी है। क्या यह वही भारत है जिसने तमिल-भाषी श्रीलंका निवासियों को गले लगाया और तिब्बत के बौद्धों को सम्मान से रखा? राम पुनियानी का आलेख :