दूसरे दिन हम ताशकंद के ‘स्तालिन सामुदायिक कृषि फार्म’ को देखने गए। वह सामुदायिक कृषि फार्म किसी स्वायत्त राज्य की तरह था। अपने आप में पूरा आश्चर्य। पता चला कि उसकी स्थापना 1929 में की गई थी। पढ़ें, अन्नाभाऊ साठे की कालजयी रचना का अंतिम अध्याय
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