With smart policymaking, the Indian government can improve the quality of life of Adivasis – for example, giving them more autonomy in governance by extending the provision of Autonomous District Councils to Fifth Schedule Areas too, writes Chhotelal Kumar
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Deferring to the mounting national and international pressure by indigenous leaders and Indian anthropologists, IUAES has withdrawn the co-hosting rights of Kalinga Institute of Social Sciences to the World Anthropology Congress 2023. However, the larger issue of KISS as a factory school funded by mining corporates remains, writes Goldy M. George
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मूलनिवासी नेतृत्व और भारतीय मानवशास्त्रियों के विरोध के मद्देनजर, आईयूएईएस ने कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज को वर्ल्ड एंथ्रोपोलॉजी कांग्रेस की मेजबानी करने के अधिकार से वंचित कर दिया है। परन्तु इससे यह मुद्दा समाप्त नहीं हो जाता कि केआईएसएस एक फैक्ट्री स्कूल है, जो बड़ी खनन कम्पनियों के धन से संचालित होता है। गोल्डी एम. जार्ज की खबर
डॉ. कंगाली ने अपना पूरा जीवन कोया पुनेम दर्शन की खोज और इसका लेखन करने में लगाया। आज उन्हीं के प्रयासों से भारत के पूरे कोइतूर समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक चेतना का एक नया तूफान उठ खड़ा हुआ है। बता रहे हैं संजय श्रमण जोठे
गोंड संस्कृति व परंपराओं से शेष भारत लगभग अपरिचित है। इसकी एक वजह भाषागत विभिन्नता भी है। समीक्षित पुस्तक इस विभिन्नता को कम करने का प्रयास करती है। भारत के मूलनिवासियों से जुड़ी लोक-कथाओं, मान्यताओं और मौखिक इतिहास को समेटे यह किताब अध्येताओं व शोधार्थियों के लिए महत्वपूर्ण है। बता रहे हैं नवल किशोर कुमार
डा. पायल तडवी की खुदकुशी के पीछे तीन सवर्ण महिला चिकित्सकों का हाथ है। सवाल उठता है कि निम्न जाति/समुदाय से आने वाली पायल उन्हें दाई के रूप में तो मंजूर है लेकिन एक चिकित्सक के रूप में क्यों नहीं?
विश्वविद्यालयों में विभागवार आरक्षण के खिलाफ़ विरोध देश की राजधानी दिल्ली से निकलकर रांची और बनारस जैसे छोटे और मीडिया के अटेंशन से दूर के शहरों और कस्बों में फैलने के साथ ही उग्र व्यापक और देशव्यापी होता जा रहा है
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
‘एक तीर-एक कमान, सब आदिवासी एक समान’ के उद्देश्य से 5 दिसंबर को मांझी सरकार की पुण्यतिथि पर कई राज्यों के गोंडवाना आदिवासी छत्तीसगढ़ के बलोद जिले के बघमार रिजर्व विकास क्षेत्र (दुर्ग) में जुटेंगे और अपने अधिकार फिर से वापस लेने का संकल्प लेंगे। फारवर्ड प्रेस की खबर :
सुप्रीम कोर्ट ने आदिवासी इंजीनियर संतोष के मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को निर्देश दिया है कि वह छह महीने के अंदर उनकी सुनवाई पूरी करे। संतोष के खिलाफ एक मामला पिछले 10 वर्षों से हाई कोर्ट में विचाराधीन है। फारवर्ड प्रेस की खबर :
The Scheduled Tribes are addressed by a variety of terms – Mulnivasi, Deshaj, Vanvasi, Girivasi, Jungli, Adim and Adivasi. But of all the terms, Adivasi is the most negative and obnoxious, writes Surya Bali
जनजातियों के संबाेधन के लिए बहुत सारे शब्द प्रयोग में लाए जाते हैं। जैसे मूलनिवासी, देशज, वनवासी, गिरिवासी, गिरिजन, जंगली, आदिम, आदिवासी इत्यादि। लेकिन, इन सबमें आदिवासी शब्द बहुत ही नकारात्मक और अपमानजनक है। सूर्या बाली ‘सूरज’ का विश्लेषण :
This year, Mahishasur Martyrdom Day or Mahishasur Remembrance Day was celebrated at more than 300 locations in the country. This is not all. The new tradition has crossed the country’s borders and reached Nepal, too
इस साल देश भर में 300 से ज्यादा स्थानों पर महिषासुर शहादत अथवा महिषासुर स्मरण दिवस मनाया गया है। देश की सीमा पार कर यह आयोजन नेपाल भी पहुंच गया