कबीर की कविताएं तुलसी की कविताओं के जैसी चारणगीत नहीं है। न ही वे भक्ति के नाम पर खुद को और समाज को पंगु बनाने का संदेश देते हैं। कबीर को खुद पर भरोसा है। इसलिए ईश्वर से कुछ अपेक्षा ही नहीं रखते। बता रहे हैं ओमप्रकाश कश्यप
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