टाटा समूह ने इंडस्ट्रियल हेलमेट बनाने वाली चंदन एंड चंदन इंडस्ट्रीज में एक-तिहाई हिस्सेदारी करने का फैसला लिया है। कंपनी में दो-तिहाई हिस्सेदारी दलित उद्यमी नंदकिशोर चंदन के पास रहेगी।
नंदकिशोर चंदन ने फारवर्ड प्रेस को बताया कि सायरस मिस्त्री से पहले, टाटा ग्रुप की कमान संभालने वाले रतन टाटा और टाटा संस के पूर्व डायरेक्टर जेजे ईरानी ने दलित हित को आगे बढ़ाया था। उसी क्रम में यह निवेश कई महीनों तक चली बातचीत का नतीजा है। इसके लिए टाटा स्टील के वाइस चेयरमैन और टीएएपी के प्रमुख बी मुथूरामन कोशिश कर रहे थे।
टाटा ग्रुप के साथ काम करने के ख्याल से चंदन काफी खुश हैं। उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजिनियरिंग में डिप्लोमा किया है और प्लास्टिक मोल्डिंग एक्सपर्ट हैं। वे गाजियाबाद में फैक्ट्री लगा रहें हैं। इन्हें टाटा ग्रुप की कंपनियों से 50,000 हेलमेट का पहला ऑर्डर मिल चुका है। ऑर्डर देने वाली कम्पनियों में टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा हाउसिंग और टाटा प्रोजेक्ट्स शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार, इस डील को सायरस मिस्त्री ने ही स्वीकृति दी है। टाटा ग्रुप, कंपनीज ऐक्ट की धारा 25 के तहत एक कंपनी (नॉट फॉर प्रॉफिट) बनाने की भी सोच रहा है। यह कंपनी दलित उद्यमियों के उद्यमों में निवेश करेगी। टाटा समूह की कंपनियां इस स्पेशल एंटिटी के लिए धन जुटाएंगी। समूह की जनसम्पर्क एजेंसी ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि टाटा ग्रुप की कंपनियां दलित कारोबारियों को व्ययसाय शुरू करने में मदद देने के लिए मिलकर काम करेंगी। गौरतलब है कि दलित उद्यमों में निवेश करने के अलावा, टाटा एफर्मेटिव ऐक्शन प्रोग्राम (टीएएपी) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए एंप्लॉयमेंट, एंप्लॉयबिलिटी और एजुकेशन प्रोग्राम भी चलाता है।
(फारवर्ड प्रेस के अगस्त 2013 अंक में प्रकाशित)