जिस गांधीवाद को माता प्रसाद जी लेकर चले, उससे लोगों को कभी कोई परेशानी नहीं हुई। वे मेरी भाषा शैली के प्रशंसक थे, जबकि मैं कबीर की परंपरा का राही रहा हूं, पर उन्होंने मुझे अपने स्नेह से कभी वंचित नहीं किया। अरुणाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल व दलित साहित्यकार माता प्रसाद को श्रद्धांजलि दे रहे हैं कालीचरण ‘स्नेही’