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हिंदी पट्टी बनाम हिंदू पट्टी

अपने आलेख में बद्री नारायण ने यह नहीं लिखा कि यह प्रक्रिया क्रांति और प्रतिक्रांति की रही है, जिसमें ब्राह्मणवाद ने चुनौती देने वाली अपनी सभी विरोधी धाराओं को कहीं ध्वस्त और कहीं आत्मसात करके खत्म कर दिया था। आजीवकों और चार्वाकों तक का कोई साहित्य उपलब्ध नहीं है। पढ़ें, कंवल भारती की टिप्पणी

हिंदी पट्टी बनाम हिंदू पट्टी
अपने आलेख में बद्री नारायण ने यह नहीं लिखा कि यह प्रक्रिया क्रांति और प्रतिक्रांति की रही है, जिसमें ब्राह्मणवाद ने चुनौती देने वाली...
मध्य प्रदेश : जयस को नजरंदाज करना कांग्रेस को पड़ा महंगा
चर्चाएं निराधार नहीं हैं। मसलन, जयस का आदिवासी बहुल क्षेत्रों में व्यापक प्रभाव है और चुनाव पूर्व इसे राज्य में तीसरे मोर्चे के रूप...
पिछले पांच वर्षों में रोज औसतन 7 एससी, एसटी और ओबीसी छात्र छोड़ रहे हैं उच्च शिक्षा
केंद्र सरकार ने यह नहीं बताया कि दलित-बहुजन समाज के छात्र-छात्राओं को पढ़ाई क्यों छोड़नी पड़ी है। जाहिर तौर पर इतनी बड़ी संख्या में...
छत्तीसगढ़ चुनाव : कांग्रेस ने आदिवासियों के प्रति असंवेदनशीलता और पाखंड की कीमत चुकाई
कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार दिसंबर, 2018 में सत्ता में आई। उसके कई वायदों में से एक वायदा यह भी था कि फर्जी मुठभेड़ों...
भाजपा की ब्राह्मणवादी जीत बनाम दलित-बहुजनों की हार
लोकसभा चुनाव में जीत के लिए कम से कम कांग्रेस को 15 प्रतिशत अधिक वोटों की दरकार होगी। यह वोट राहुल बनाम मोदी की...
संस्कृत भाषा भारत की पालि और प्राकृत से पुरानी नहीं!
सवाल उठता है कि आर्यों के साथ आई संस्कृत सबसे प्राचीन भाषा कैसे बन सकती है? यह संदर्भ हमें संकेत देता है कि तथाकथित...
आंबेडकरवादियों के लिए चैत्यभूमि का महत्व बताती डॉक्यूमेंट्री
सोमनाथ वाघमारे का अनूठा परिप्रेक्ष्य, साधारण दिखने वाले लेकिन आंबेडकरवादियों के ज़रिए कहानी को आगे बढ़ाने का उनका अभिनव तरीका और बढ़िया संगीत –...
आरएसएस और जाति के विनाश की राहें
खाद्य संस्कृति का लोकतांत्रिकरण और उसे व्यक्तिगत पसंद-नापसंद पर आधारित बनाना, जाति के उन्मूलन से जुड़ा हुआ मुद्दा है। संघ के नेताओं ने कभी...
आत्मकथ्य : बौद्धधर्म से समाजवाद तक की यात्रा (दूसरा भाग)
पूर्वी उत्तर प्रदेश में माफिया गैंगवार, जिसे ब्राह्मण-ठाकुर के बीच संघर्ष का नाम दिया जाता है, इसकी शुरुआत गोरखपुर विश्वविद्यालय में ब्राह्मण-ठाकुर के बीच...
पूर्व-औपनिवेशिक भारत में व्यापारी जातियों का उभार और हिंदूपन का उदय
मारवाड़ के व्यापारी वर्ग ने अन्य वर्गों, जिनका राजदरबारों के नेतृत्व का दावा और कमज़ोर था – जैसे ब्राह्मण – के साथ मिलकर, राज्य...
उषाकिरण आत्राम की कविताओं में स्त्री अस्मिता (संदर्भ : ‘मोट्यारिन’ काव्यसंग्रह)
कवयित्री ने आदिवासी स्त्रियों के संघर्षशील और भावनात्मक विलासिता रहित जीवन को उभारा है। तमाम दुःख-दर्द, वेदना, पीड़ाओं को सहकर चलने वाले इन स्त्रियों...
जाति-पितृसत्ता-विपन्नता से संघर्ष की व्यथा गाथा (संदर्भ सुशीला टाकभौरे की आत्मकथा)
भारतीय समाज में जाति और गरीबी आपस में गुत्थमगुत्था हैं। दोनों को अलगाना बहुत मुश्किल है। लेकिन जाति उस ग़रीबी को और विशिष्ट बना...
शिवनाथ चौधरी ‘आलम’ : दलित-बहुजन विमर्श के अनूठे गजलकार
सही मायने में आलम की सोच में आंबेडकर की विरासत गूंजती है। वह आंबेडकर की तरह ही उस सियासत के कट्टर आलोचक हैं, जो...
बहुजन धारा और दिनेश कुशवाह की कविताएं (अंतिम भाग)
निस्संदेह, मुख्यधारा के इतिहासकारों ने अत्याचारियों और हत्यारों को नायक बनाया है। रामायण में भी नायक बहेलिया है, अपने प्रेम के लिए बलिदान देने...
बहुजन धारा और दिनेश कुशवाह की कविताएं (पहला भाग)
दिनेश कुशवाह की कविता-यात्रा का विकास संकलन की दूसरी कविता ‘पिता की चिता जलाते हुए’ से होता है। यह कविता संवेदना के स्तर पर...
ऐतिहासिक रिपोर्ट : बंबई में जब विभिन्न विचारधाराओं के लोगों ने दी थी डॉ. आंबेडकर को श्रद्धांजलि
डॉ. आंबेडकर का निधन 6 दिसंबर, 1956 काे हुआ। बंबई सीआईडी की तत्कालीन रपटों में यह उल्लेखित है कि एक लाख लोगों ने दादर...
मुंगेरी लाल के ‘हसीन’ सपने सच हुए
यह विडंबना ही है कि मुंगेरी लाल के सामाजिक योगदान और राजनीतिक महत्‍व पर कभी किसी नेता या पार्टी ने ध्‍यान नहीं दिया। मुंगेरी...
निछक्का दल की कहानी, जगदेव प्रसाद की जुबानी
शोषित दल शोषितों के निछक्का दल के बतौर अस्तित्व में आया। जगदेव प्रसाद उस दौर के राजनीतिक परिदृश्य में शोषितों के निछक्का दल बनाने...
पेरियार : काशी में अपमान से तमिलनाडु में आत्मसम्मान आंदोलन तक
पेरियार कहते थे कि वंचितों को ठगने का काम मत करो, क्योंकि जो वैज्ञानिक विचारधारा है, जो विज्ञान को बढ़ाने वाली विचारधारा है, जो...
रामस्वरूप वर्मा : उत्तर भारत के आंबेडकर सरीखे नायक
आंबेडकर की तरह रामस्वरूप वर्मा के लेखन में धर्मशास्त्र और जातिवाद की तीखी आलोचना निहित है। वे जोर देकर कहते हैं कि ब्राह्मणवाद में...