जस्टिस पार्टी और फिर पेरियार ने, वहां ब्राह्मणवाद की पूरी तरह घेरेबंदी कर दी थी। वस्तुत: राजभाषा और राष्ट्रवाद जैसे नारे तो महज ब्राह्मणवाद और ब्राह्मणवादी ताकतों को मजबूत करने तथा जनता का ध्यान भटकाने की राजनीतिक चालें थीं। पेरियार ने उस राजनीति का जवाब हिंदी विरोध की राजनीति से देकर प्रतिक्रियावादी ताकतों के...