सावित्रीबाई फुले ने अपने पति जोतीराव फुले के समाज सुधार के काम में उनका पूरी तरह सहयोग देते हुए एक परछाईं की तरह पूरे लगन और समर्पण के साथ काम की शुरुआत की, लेकिन इस परछाई ने आगे चलकर अपना एक स्वतंत्र आकार गढ़ लिया। पढ़ें, सुधा अरोड़ा का यह आलेख