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उच्च शिक्षा सिर्फ सवर्णों के लिए क्यों?

दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग की जातियों के बच्चे बड़े सपने लेकर आईआईटी, आईआईएम, आईआईएससी और एम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में दाखिला लेते हैं। उनकी समझ है कि समानता और वैचारिक गहराई की मजबूत नींव रखनेवाली संस्थाएं उन्हें ऊंचा उड़ना सिखाएंगीं। लेकिन अनुभव इसके विपरीत दिखता है। बता रहे हैं बापू राऊत

उच्च शिक्षा सिर्फ सवर्णों के लिए क्यों?
दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग की जातियों के बच्चे बड़े सपने लेकर आईआईटी, आईआईएम, आईआईएससी और एम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में दाखिला लेते हैं।...
खतरनाक है संसद का गतिरोध
पूरी दुनिया में आवारा पूंजी का प्रभाव बढ़ा है और जब आवारा पूंजी, जो पूंजीवाद का एक विकृत रूप है, का प्रभाव बढ़ता है...
छत्तीसगढ़ में अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ हिंसा के लिए कांग्रेस सरकार ज़िम्मेदार : जांच दल
रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य की कांग्रेस सरकार यह काम सत्ता में बने रहने के लिए अपने उदार हिंदुत्व की एजेंडा के...
अमेरिका में आंबेडकरवादियों की जीत व जातिवादियों की हार
ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा में जिस तरह से स्थानीय निकाय अब जातिभेद के प्रश्न को देख रहे हैं तो यह स्वाभाविक है कि अपनी...
क्या इन कारणों से ट्रोलरों के निशाने पर हैं जस्टिस चंद्रचूड़?
ऐसा माना जा रहा है कि यह सब महाराष्ट्र में जून, 2022 में तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा निवर्तमान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को...
इतिहास के आईने में ‘जाति’
फाहियान ने वर्णन किया है कि गुप्तकाल में एक अस्पृश्य वर्ग था। स्मृतियों में शूद्रों और अस्पृश्यों में अंतर माना गया। गुप्तोत्तर काल में...
क्रिसमस : सभी प्रकार के दमन के प्रतिकार का उत्सव
यह प्रतीत होता है कि ‘ओ होली नाईट’ राजनैतिक प्रतिरोध का गीत था। ज़रा कल्पना करें कि गृहयुद्ध के पहले के कुछ सालों में...
छेल्लो शो : परदे पर ईडब्ल्यूएस
यह फिल्म, जिसे 95वें ऑस्कर पुरस्कारों के लिए बेस्ट इंटरनेशनल फीचर श्रेणी में भारत की आधिकारिक प्रविष्टि के रूप में चुना गया है, में...
सहजीवन : बदलते समाज के अंतर्द्वंद्व के निहितार्थ
विवाह संस्था जाति-धर्म की शुद्धता को बनाये रखने का एक तरीका मात्र है, इसलिए समाज उसका हामी है और इसलिए वह ऐसे जोड़ों की...
यात्रा संस्मरण : वैशाली में भारत के महान अतीत की उपेक्षा
मैं सबसे पहले कोल्हुआ गांव गयी, जहां दुनिया के सबसे प्राचीन गणतंत्र में से एक राजा विशाल की गढ़ी है। वहां एक विशाल स्नानागार...
आंखन-देखी हाल बतातीं रजत रानी मीनू की कहानियां
रजत रानी मीनू की कहानियां यथार्थवादी हैं। वह घटनाओं का उसी रूप में चित्रण करती हैं, जिस रूप में वे घटती हैं। वह उनको...
मिहनतकशों के साहित्यकार रेणु
रेणु ने हिंदी में रिपोर्ताज विधा को जिस शिखर पर पहुंचाया, उसकी बराबरी आज तक कोई नहीं कर सका है। अपने पहले ही रिपोर्ताज...
हरियाणवी समाज के प्रदूषक लोक कवि लखमी चंद
लखमी चंद की रागनियां पूरी तरह ब्राह्मणवादी और सामंतवादी आचार-विचारों और मूल्यों की स्थापना करती हैं। वह वेद-शास्त्रों, पुराणों और खासकर मनुस्मृति के अनुसार...
भाषा और साहित्य के विकास में पिछड़ों-दलितों का अहम योगदान
उल्लेखनीय है कि लिपियों का आविष्कार विद्वानों ने नहीं, चित्रकार और मूर्तिकारों ने किया। भारत ही नहीं, दुनिया की किसी भी सभ्यता में लिपि...
क्रांतिकारी परंपरा को बढ़ातीं रजत रानी मीनू की कविताएं
दलित कविता की ताकत वही चेतना है, जिसमें बाबासाहेब की बताई हुई राह और दृष्टि है। वह कहते थे कि सवर्णों के बताए हुए...
संग्रहणीय दस्तावेज ‘आंबेडकर इन लंदन’
‘एक कानूनविद के तौर पर आंबेडकर’ लेख मे विस्तारपूर्वक उनकी पढ़ाई और फिर भारत लौटने पर उनके कानूनी लड़ाई के विषय मे बताया गया...
पहुंची वहीं पे ख़ाक जहां का खमीर था
शरद यादव ने जबलपुर विश्वविद्यालय से अपनी राजनीति की शुरुआत की थी और धीरे-धीरे देश की राजनीति के केंद्र में आ गए। पिता ने...
मंडल आयोग की सिफारिशें लागू करवाने में शरद यादव की भूमिका भुलाई नहीं जा सकती
“इस स्थिति का लाभ उठाते हुए मैंने वी. पी. सिंह से कहा कि वे मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने की घोषणा तुरंत...
शरद यादव : रहे अपनों की राजनीति के शिकार
शरद यादव उत्तर प्रदेश और बिहार की यादव राजनीति में अपनी पकड़ नहीं बना पाए और इसका कारण थे लालू यादव और मुलायम सिंह...
सावित्रीबाई फुले : पहली मुकम्मिल भारतीय स्त्री विमर्शकार
स्त्रियों के लिए भारतीय समाज हमेशा सख्त रहा है। इसके जातिगत ताने-बाने ने स्त्रियों को दोहरे बंदिशों मे जकड़ रखा था। उन्हें मानवीय अधिकारों...