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Kanwal bharti
क्रांतिकारी परंपरा को बढ़ातीं रजत रानी मीनू की कविताएं
कंवल भारती
दलित कविता की ताकत वही चेतना है, जिसमें बाबासाहेब की बताई हुई राह और दृष्टि है। वह कहते...
क्यों बख्शें तुलसी को?
कंवल भारती
अगर मंडल कमीशन और सिमोन द बुआ का स्त्री-विमर्श आ भी गया होता, तब भी तुलसी स्त्री-शूद्र के...
राजेश कुमार का नाटक : कह रैदास खलास चमारा (अंतिम भाग)
कंवल भारती
नाटककार ने यज्ञोपवीत में विश्वास दिखाकर रैदास का विश्वास भी जनेऊ में दिखा दिया है। इस प्रकार निर्गुण...
राजेश कुमार का नाटक : कह रैदास खलास चमारा (पहला भाग)
कंवल भारती
प्रसंगवश यह जोड़ना मैं जरूरी समझता हूं कि रैदास साहेब ने अपनी वाणी में कहीं भी स्वयं को...
‘रामचरितमानस’ धर्म ग्रंथ नहीं
कंवल भारती
1974 में उत्तर प्रदेश की विधानसभा में एक विधायक द्वारा ‘रामचरितमानस’ को फाड़कर ब्राह्मणवाद के खिलाफ विरोध प्रकट...
डा. सी. बी. भारती की कविताओं का पुनर्पाठ (अंतिम भाग)
कंवल भारती
यदि आज नब्बे प्रतिशत दलित साहित्य आत्म-कथात्मक है, तो इसका कारण यही है कि स्वानुभूति उसकी आधारभूमि है।...
Had Hindus fought, India wouldn’t have been enslaved
Kanwal bharti
It is no coincidence that Mohan Bhagwat’s call for waging a battle to protect Hinduism, Hindu culture and...
हिंदू अगर लड़ते तो भारत गुलाम नहीं होता
कंवल भारती
यह अकारण नहीं है कि मोहन भागवत का विदेशी प्रभाव से हिंदू धर्म, हिंदू संस्कृति और हिंदू समाज...
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