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मोदी और उनके अनुयायियों का झूठ बनाम सच

सवाल यह है कि मोदी और उनके अनुयायी किसे बेवकूफ बना रहे हैं? क्या जनता जानती नहीं है कि संविधान कोई भी एक व्यक्ति खत्म नहीं कर सकता। पार्लियामेंट के दो-तिहाई बहुमत से संविधान खत्म किया जाता है। अब तक जितने भी गैर-संवैधानिक अध्यादेश बने हैं, वे सब मोदी सरकार द्वारा इसी दो-तिहाई बहुमत से बनाए और पास किए गए हैं। आर्थिक आधार पर सवर्णों के लिए दस प्रतिशत आरक्षण इसी सदन से पास हुआ। क्या यह संवैधानिक है? पढ़ें, कंवल भारती का यह आलेख

यह तो सुना था कि राजनीति झूठी और गंद होती है, पर यह मालूम नहीं था कि भाजपा नेता नरेंद्र मोदी और देश के प्रधानमंत्री इसे वाकई इतनी झूठी और गंदी बना देंगे कि सत्य भी अपने आप पर शर्माने लगेगा। शुरुआत संविधान से करते हैं। संविधान को लेकर स्वयं मोदी द्वारा लगातार झूठ बोला जा रहा है कि अगर आंबेडकर भी संविधान को खत्म करना चाहें तो खत्म नहीं कर सकते। कल तक अलग सुर अलापने वाले जयंत चौधरी भी भाजपा से गठबंधन करने के बाद मोदी के सुर में सुर मिलाते हुए बोल रहे हैं कि संविधान को कोई खत्म नहीं कर सकता। 

सवाल यह है कि ये किसे बेवकूफ बना रहे हैं? क्या जनता जानती नहीं है कि संविधान कोई भी एक व्यक्ति खत्म नहीं कर सकता। पार्लियामेंट के दो-तिहाई बहुमत से संविधान खत्म किया जाता है। अब तक जितने भी गैर-संवैधानिक अध्यादेश बने हैं, वे सब मोदी सरकार द्वारा इसी दो-तिहाई बहुमत से बनाए और पास किए गए हैं। आर्थिक आधार पर सवर्णों के लिए दस प्रतिशत आरक्षण इसी सदन से पास हुआ। क्या यह संवैधानिक है? क्या नागरिकता कानून, जिसमें मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता से वंचित रखा गया है, क्या संवैधानिक है? क्या राज्य का रामराज्य ढांचा, सरकारी धन से अयोध्या में रामराज्य का जश्न, नई संसद में धर्मं-दंड की स्थापना और हिन्दू राज्य की खुलेआम घोषणा मोदी सरकार का संवैधानिक कृत्य है? क्या एक राष्ट्र, एक चुनाव का मोदी का सिद्धांत संवैधानिक है? 

ये सब अगर संवैधानिक नहीं हैं, तो क्या मोदी और मोदी के सुर में सुर मिलाने वाले भाजपाई नेता झूठ नहीं बोल रहे हैं कि संविधान कोई खत्म नहीं कर सकता?

दूसरा झूठ मोदी और उनके सिपहसालार आरक्षण पर बोल रहे हैं। इसी 23 अप्रैल को मोदी ने झूठ बोला कि कांग्रेस दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के आरक्षण को मजहब के आधार पर बांटकर मुसलमानों को देना चाहती है। मोदी ने यह भी कहा कि दलितों और ओबीसी का आरक्षण खत्म नहीं होगा। इससे बड़ा झूठ और क्या हो सकता है कि आरक्षण खत्म मोदी स्वयं कर रहे हैं और आरोप कांग्रेस पर लगा रहे हैं? क्या सवर्णों के लिए दस प्रतिशत आरक्षण कांग्रेस ने दिया था? आज अगर भाजपा सरकार में नौकरियों में ईमानदारी से किसी आरक्षण का पालन हो रहा है तो वह यही ईडब्ल्यूएस आरक्षण है, जो शत-प्रतिशत सवर्णों, ख़ास तौर से ब्राह्मणों को दिया जा रहा है। और यह कि ईडब्ल्यूएस को दिए गए दस प्रतिशत आरक्षण से गैर-आरक्षित कोटे में दलितों और ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों की हिस्सेदारी कम कर दी गई है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह

सवाल है कि मंडल आयोग की सिफारिशों के खिलाफ आंदोलन चलाने वाले आरएसएस और भाजपा किस मुंह से ओबीसी के आरक्षण की वकालत कर रहे हैं? पिछले दस सालों में ओबीसी का आरक्षण किसी भी विभाग में उन्होंने पूरा नहीं किया है। जिस वर्ग के लिए मंडल आयोग ने 27 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की थी, उस आधार पर क्या भाजपा ने ओबीसी को आरक्षण दिया? आज सरकारी क्लास वन की प्रशासनिक नौकरियों में ओबीसी की भागीदारी पांच प्रतिशत से ज्यादा नहीं है, जबकि सवर्ण जातियों, ख़ास तौर से ब्राह्मणों की भागीदारी 90 प्रतिशत है। क्या 52 प्रतिशत आबादी वाले समुदाय की भागीदारी पांच प्रतिशत और दस प्रतिशत आबादी वाले समुदाय की भागीदारी 90 प्रतिशत संवैधानिक है? यह तो किसी तरह नैतिक भी नही है। 

कौन नहीं जानता है कि मोदी सरकार ने बिना परीक्षा, और बिना इंटरव्यू के लेटरल इंट्री में जिन्हें सीधे आईएएस बनाया है, उनमें एक भी दलित, ओबीसी और आदिवासी नहीं है। वे सारी नियुक्तियां सवर्णों से की गई हैं। 2018 में भाजपा सरकार ने दलित-पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षित 18 हजार पदों पर सवर्णों को नियुक्त कर दिया, जिसकी लड़ाई आज भी दलित-ओबीसी कोर्ट में लड़ रहे हैं। क्या यह सब कांग्रेस सरकार ने किया था? दलित-ओबीसी और आदिवासियों का आरक्षण खत्म करने वाली मोदी सरकार किस मुंह से कांग्रेस पर इलज़ाम लगा रही है? 

मोदी सरकार ने तो दलित-पिछड़े वर्गों के लिए विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने और प्रोफ़ेसर बनने का ही नहीं, बल्कि डाक्टर और इंजीनियर बनने के वे रास्ते भी बंद कर दिए, जो कांग्रेस की सरकारों ने उनके लिए खोले थे।

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तीसरा झूठ मुसलमानों के बारे में बोला जा रहा है। मोदी और योगी दोनों कह रहे हैं कि कांग्रेस दलित-पिछड़ों का आरक्षण मुसलमानों को देना चाहती है। मुसलमानों की आबादी 18 प्रतिशत के करीब है, लेकिन हकीकत में सरकारी नौकरियों में उनकी संख्या ठीक से 4 प्रतिशत भी नहीं है, जो एक नगण्य स्थिति है। सवाल यह है कि मुसलमानों से नफ़रत करने वाली भाजपा को चिंता किसकी हो रही है, मुसलमानों की, या दलित-ओबीसी की? जवाब यह है कि भाजपा को न दलित-ओबीसी से प्यार है और न मुसलमानों से। उसका इरादा सिर्फ झूठ फैलाकर दलित-पिछड़ों को मुसलमानों के खिलाफ करके लड़ाना है, ताकि वे कांग्रेस और सपा के उमीदवारों को वोट न दें। मोदी और योगी ने व्यवहार के स्तर पर खुद दलित-पिछड़ों का आरक्षण सवर्णों को दे दिया, इस सच पर पर्दा डालने के लिए वे उनके सामने यह झूठ परोस रहे हैं कि उनका आरक्षण कांग्रेस मुसलमानों को दे देगी। दूसरी ओर वे इस झूठ से सवर्णों को यह संदेश दे रहे हैं कि कांग्रेस को जिताया तो मुसलमानों का राज आ जायेगा। झूठ बोलने में ये बेशर्मी की किस हद तक जा सकते हैं, उसका उदाहरण 24 अप्रैल को योगी आदित्यनाथ का लखनऊ में दिया गया बयान है, जिसमें उन्होंने कहा है कि कांग्रेस भारत में तालिबानी प्रवृत्ति को लागू करना चाहती है। इस झूठ का एक ही मतलब है कि मोदी और योगी के पास झूठ के सिवा कुछ है ही नहीं। उनके मुख से नफरत के सिवा प्यार के शब्द कभी निकलते ही नहीं। शायद प्यार नाम का शब्द उनकी संस्कृति में ही नहीं है। जो स्वयं शूद्रों और महिलाओं के लिए सनातन युग से तालिबानी प्रवृत्ति के रहे हैं, जिन्होंने शूद्रों और महिलाओं को पढ़ने नहीं दिया, उनके कानों में पिघला शीशा डाला हो, उनकी हत्याएं की हों, औरतों के नाक-कान काटकर उन्हें अंग-भंग किया हो, उन्हें जिंदा जलाया हो, उन्हें दूसरा विवाह न करने दिया हो, वे हिंदुओं को तालिबान का डर दिखा रहे हैं। झूठ की हद है।

चौथा झूठ महाझूठ है, बल्कि महाझूठ ही नहीं, महा शातिरपन भी है। जो चीज कांग्रेस के घोषणा-पत्र में है ही नहीं, उसे ही प्रचारित किया जा रहा है। कांग्रेस के घोषणापत्र में विरासत पर टैक्स लगाने की कोई बात नहीं कही गई है। लेकिन मोदी शातिराना झूठ बोल रहे हैं कि कांग्रेस आपकी सम्पत्ति लूटना चाहती है, जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी। मोदी ने कहा कि कांग्रेस नहीं चाहती कि मेहनत से जो संपत्ति आप जुटाएं, वो आपके बच्चों को न मिले। इस वाक्य में अमीरों को संदेश दिया गया है कि तुम जो अनाप-शनाप अकूत संपत्ति जोड़ रहे हो, करोड़ों-करोड़ों रुपए के फार्महाउस बना रहे हो, प्लॉट के प्लॉट खरीदे जा रहे हो, सोना खरीद-खरीद कर रखे जा रहे हो, आलीशान बंगलों में रह रहे हो, नई-नई मॉडल की मंहगी गाड़ियां खरीद रहे हो, विदेशों में संपत्ति बना रहे हो, कांग्रेस तुम्हारी इस संपत्ति पर टैक्स लगाकर उसे लूट लेगी। इनमें भ्रष्ट आधिकारी, नेता, बड़े-बड़े डाक्टर, कंपनियों के स्वामी, कांट्रेक्टर, दलाल बहुत से श्रेणियों के लोग हैं, जो समाजवादी भाषा में गरीबों के शोषक हैं। ऐसे लोगों की संपत्ति अगर छीन भी ली जाए, तो देश में गरीबों की विशाल आबादी का कल्याण ही होगा, क्योंकि ये ही वे लोग हैं, जो देश में गरीबी, और बदहाली पैदा करते हैं। एक कम्युनिस्ट राजव्यवस्था ही, जिसमे सर्वहारा की तानाशाही हो, इस शोषक वर्ग का खात्मा कर सकती है। 

हालांकि ऐसा कुछ नहीं होने वाला है। कांग्रेस में यह दम अभी नहीं है कि वह समाजवाद या कम्युनिज्म का राज लाएगी। कांग्रेस ने संपत्ति का सर्वे कराने की घोषणा की है, उसने जातीय सर्वे की बात भी कही है, ताकि पता चले कि कितनों के हाथों में देश के संसाधन हैं, और कितनों के हाथ खाली हैं? मोदी और आरएसएस का पूंजीपति वर्ग इतने से ही भयभीत हो गया। मोदी के पैरों के नीचे से ज़मीन खिसकने लगी, क्योंकि वे नहीं चाहते कि जातीय आधार पर संपत्ति का सर्वे हो। पिछले दस सालों में मोदी सरकार की सारी आर्थिक नीतियां अमीरों को ही समृद्ध करने और गरीबों को और गरीब बनाने की रही हैं। अपने पूंजीपतियों को बचाने के लिए मोदी ने अपने सारे मंत्रियों को कांग्रेस के खिलाफ झूठा प्रचार करने के काम पर लगा दिया। सिर्फ कांग्रेस के, संपत्ति के सर्वे और आर्थिक समानता को दूर करने के वादे ने ही मोदी की नींद उड़ा दी। अगर समाजवाद कायम करने का वादा कांग्रेस ने किया होता, तो क्या होता?  

मोदी और आरएसएस राहुल गांधी के इस बयान से चिंतित नहीं हैं कि मोदी ने अपने 25-30 अमीरों को अरबपति बनाया है, बल्कि वे राहुल गांधी के संपत्ति के पुनर्वितरण के वादे से चिंतित हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि यह करोड़ों गरीबों को लखपति बनाने की नीति है। अत: मोदी और आरएसएस की योजना के अनुसार राहुल गांधी को चारों ओर से और हर कोण से घेर लिया गया। इसमें भी एक कोण हिंदू-मुसलमान का जोड़ दिया गया है। 

गृह मंत्री अमित शाह ने यह दांव भी खेल दिया कि राहुल गांधी बहुसंख्यकों की संपत्ति जब्त करके अल्पसंख्यकों को बांट देंगे। गरीबों और मुसलमानों के खिलाफ इनका दिमाग किस कदर शातिर अंदाज़ से काम करता है। लगता है, इनका जन्म ही गरीबों और मुसलमानों को बर्बाद करने के लिए हुआ है। अव्वल तो कांग्रेस ने ऐसा कुछ कहा नहीं है कि वह हिंदुअें की संपत्ति छीन कर मुसलमानों को बांटेगी, पर भाजपा का हाजमा इसलिए बिगड़ गया, क्योंकि वह जानती है कि बहुसंख्यक की आड़ में वह किन मुट्ठीभर सवर्ण हिंदुअें की संपत्ति की चिंता कर रही है।

असल में कांग्रेस के घोषणा पत्र से भाजपा और आरएसएस इस कदर घबराए हुए हैं कि वह उन्हें हजम ही नहीं हो रहा है। कांग्रेस के घोषणा पत्र में उनकी मूल चिंता का विषय जातिगत जनगणना है, जो उनके हिंदू राष्ट्र की राजनीति बिगाड़ सकती है। वे हिंदू राष्ट्र के नाम पर भारत में असल में ब्राह्मण राज्य कायम करने के लिए आए हैं। वे देश के संसाधनों में से फूटी कौड़ी भी दलित-पिछड़ों और आदिवासियों को देना नहीं चाहते, वे अपने हिन्दू राज्य में मुसलमानों को भी हाशिए पर रखेंगे। उनका मूल लक्ष्य ब्राह्मणों और अन्य सवर्णों के सिवा किसी का विकास करना नहीं है। वे वास्तव में इसी अल्पसंख्यक अपर कास्ट समुदाय को बहुसंख्यक हिंदू कहते हैं, और इस बात को अपर कास्ट भी अच्छी तरह समझता है, यही कारण है कि वह मोदी का परम भक्त बना हुआ है। अपर कास्ट के लिए उनके लगाव को भाजपा नेताओं के सारे बयानों और सारी घोषणाओं में देखा जा सकता है। 

इस क्रम में एक झूठ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी बोल दिया। उन्होंने 24 अप्रैल को विशाखापत्तनम में कहा कि कांग्रेस की मंशा सेना में भी आरक्षण देना है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का घोषणा पत्र धर्म-आधारित कोटा लागू करने का संकेत देता है। उन्होंने कहा कि इससे सेना में भी आरक्षण लागू हो जायेगा, जिससे देश बंट जाएगा और देश की एकता खतरे में पड़ जाएगी। इस बयान से क्या लगता है? क्या सेना और देश ब्राह्मण वर्गों की जागीर है? क्या अपर कास्ट ही देश को जोड़ना और एकता कायम करना जानता है, शेष लोग विघटनकारी हैं? अगर ऐसा ही है, तो भारत के हिंदू एक हजार वर्षों तक मुसलमान और अंग्रेज शासकों के गुलाम क्यों हो गए? देश तो क्षत्रियों के सुरक्षित हाथों में था, कैसे उन्होंने देश पर मुगलों और अंग्रेजों का राज कायम होने दिया? मगर आरएसएस और भाजपा के हिंदूवादी नेता नफरत फैलाना ही जानते हैं, जिसने उनकी सोच और दृष्टि को संकीर्ण से भी संकीर्ण बना दिया है। वे बस यह चाहते हैं कि वोट उनको सब लोग दें, पर सेना और देश का नेतृत्व सिर्फ अपर कास्ट करेगा, उसमें भी ब्राह्मण। कोई इन सिरफिरों से यह पूछने वाला नहीं कि अगर अपर कास्ट के हाथों में ही सेना और देश सुरक्षित रह सकता है, और मुसलमानों के हाथों में आते ही देश खतरे में पड़ जायेगा, तो अखंड भारत का नारा क्यों लगाया जा रहा है? अखंड भारत क्या केवल ब्राह्मण वर्गों से से बनेगा? भारत के 18 करोड़ मुसलमानों से देश को खतरा है, पर जब अखंड भारत बन जाएगा, जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान भी जुड़ जायेगा, तब क्या करोगे? वे क्या ब्राह्मण वर्गों के गुलाम बनकर रहेंगे? अपनी बराबर की भागीदारी नहीं मांगेंगे?

लेकिन सच यह है कि भाजपा और आरएसएस का असली डर कुछ और ही है। इसका खुलासा भी उनके नेताओं ने कर दिया है। केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का बयान है कि “कांग्रेस से संपत्ति, सीमा और सनातन को खतरा है।” इसमें तीन चिंताएं हैं, जो उनके दिमाग में चिता की तरह जल रही हैं। पहली, भाजपा को अपनी संपत्ति की चिंता, जो उसने पिछले दस सालों में बेहिसाब इकट्ठी की है। राहुल गांधी कह चुके हैं, कि वह जांच कराएंगे। ईडी की भी जांच होगी, अडानी की भी जांच होगी और जो देश की सार्वजानिक संपत्ति पूंजीपतियों को बेचीं गई है, उसकी भी जांच होगी। इसी संपत्ति की जांच का डर मोदी को है, जिसे वह विरासत पर टैक्स के झूठ के रूप में जनता को भ्रमित कर रहे हैं।

दूसरी चिंता सीमा के नाम पर नागरिकता क़ानून को बचाने की है, जिसे कांग्रेस ने साफ़ कर दिया है कि या तो इसे निरस्त किया जाएगा या इसमें अल्पसंख्यक मुसलमानों को भी शामिल किया जायेगा। इसलिए अनुराग ठाकुर जनता को यह कहकर भ्रमित कर रहे हैं कि कांग्रेस “आपकी संपत्ति आपके बच्चों को न देकर बंगलादेशी घुसपैठियों को देगी। और घुसपैठियों के आने से भारत की सीमा खतरे में पड़ जाएगी।”

अंतिम, तीसरी चिंता सनातन की है। असल में भाजपा और आरएसएस की मुख्य चिंता यही है। वे सनातन के नाम पर जिस हिंदुत्व को चाहते हैं, उसके द्वारा वे वर्णव्यवस्था को पुनर्जीवित कर रहे हैं। इस मकसद में वे काफी हद तक सफल भी हो गए हैं। सनातन वर्णव्यवस्था में सब कुछ है, जो वे कर रहे हैं, जैसे कि निजी पूंजीवाद का मकसद है– शूद्रों को हाशिये पर रखना और उन्हें दोयम दर्जे का नागरिक बनाना। कांग्रेस के आने से उनके इसी सनातन को खतरा है।

(संपादन : नवल/अनिल)

लेखक के बारे में

कंवल भारती

कंवल भारती (जन्म: फरवरी, 1953) प्रगतिशील आंबेडकरवादी चिंतक आज के सर्वाधिक चर्चित व सक्रिय लेखकों में से एक हैं। ‘दलित साहित्य की अवधारणा’, ‘स्वामी अछूतानंद हरिहर संचयिता’ आदि उनकी प्रमुख पुस्तकें हैं। उन्हें 1996 में डॉ. आंबेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार तथा 2001 में भीमरत्न पुरस्कार प्राप्त हुआ था।

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