आज हिंदुत्व के अर्थ हैं– शुद्ध नस्ल का एक ऐसा दंगाई-हिंदू, जो सावरकर और गोडसे के पदचिह्नों को और भी गहराई दे सके और इस लोकतांत्रिक राष्ट्रवाद को अपने बुल्डोजर द्वारा कुचल सके। और यह...
जेएनयू की आबोहवा अलग थी। फिर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में मेरा चयन असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के पद पर हो गया। यहां अलग तरह की मिट्टी है और अलग तरह का संघर्ष है। यहां पर मुझे बार-बार एहसास...
जाति-विरोधी फिल्में समाज के लिए अहितकर रूढ़िबद्ध धारणाओं को तोड़ने और दलित-बहुजन अस्मिताओं को पुनर्निर्मित करने में सक्षम नज़र आती हैं। वे दर्शकों को सिनेमाई चरित्र-चित्रण को समालोचनात्मक बहुजन लेंस से देखने का मौका देती...
जिस जाति और जिस परंपरा के साये में मेरा जन्म हुआ, उसमें मैं इंसान नहीं, एक जानवर के रूप में जन्मा था। इंसानों के खाने की एक परंपरा होती है कि वह सुबह में नाश्ता...