पटना : बिहार में बिन्द मतदाताओं की संख्या करीब अठारह लाख है। इसके बावजूद बिन्द समाज को राजनीति में भागीदारी नहीं मिल रही है। अब तक इन्हें सिर्फ वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया जाता रहा है। ये बातें बिहार प्रदेश बिन्द विकास महासंघ की बैठक में 1 जनवरी को उठायी गई। बैठक का आयोजन महासंघ की अध्यक्ष इन्दु देवी के कुर्जी स्थित आवास पर किया गया। इस अवसर पर इन्दु देवी ने कहा कि बिन्द समाज को न्याय दिलाने के उद्देश्य से ही 2008 में महासंघ की स्थापना की गई थी।
आजादी के 66 वर्ष बाद भी बिन्दों को उनके सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक हक नहीं मिले हैं। महासंघ के सचिव राम शंकर महतो बिन्द ने कहा कि बिन्द समाज पहले बिहार प्रदेश निषाद महासंघ से जुड़ा था। लेकिन राजनीतिक लाभ से बिन्दों को दूर रखा गया। इस कारण ही अलग से बिन्द महासंघ की नींव पड़ी। कोषाध्यक्ष शिव रतन बिन्द ने कहा कि अगले लोकसभा चुनाव से पहले हम सभी पार्टियों के पास जाएंगे और जो बिन्दों को अपना प्रत्याशी बनाएगा, वोट उसी को दिया जाएगा। इस अवसर पर रामवल्ली बिन्द, महानन्द प्रसाद बिन्द, वंशराज सिंह बिन्द, राजेन्द्र महतो बिन्द, सुरेश महतो बिन्द, उमा शंकर आर्य, अशोक कुमार व मीना देवी उपस्थित थे।
(फारवर्ड प्रेस के फरवरी, 2014 अंक में प्रकाशित )
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