रांची : झारखंड भाषा साहित्य संस्कृति अखाडा ने असम हत्याकांड के खिलाफ जारी वक्तव्य में कहा है कि इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली असम की घटनाए केंद्र और राज्य सरकारों की नागरिकों को सुरक्षा देने की क्षमता पर प्रश्नचिन्ह लगाती है। अस्सी से अधिक लोगों के मारे जाने और हजारों को हुए जानोमाल के नुकसान के प्रति अपने दायित्व से सरकार यह कहकर मुंह नहीं मोड़ सकती कि ये घटनाएं ऐसे दुर्गम इलाकों में हो रही हैं, जहां पहुंचने के लिए सड़क तक नहीं है। आजादी के 67 सालों बाद भी सड़क जैसी न्यूनतम सुविधाओं से अगर राज्य की आबादी महरूम है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है, सामाजिक और सांप्रदायिक तनाव की जड़ में अशिक्षा, बेरोजगारी और आजीविका के परंपरागत स्रोतों से मूल निवासियों की बेदखली है, झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखाड़ा ने बुद्धिजीवियों, लेखकों कलाकारों और संस्कृतिकर्मियों से अपील की है कि वे इस संकट की घड़ी में प्रभावित लोगों का साथ दें और सरकार से मांग करें कि वह अविलंब स्थिति को सामान्य बनाने के लिए तात्कालिक कदम उठाए और एक ठोस दीर्घकालिक नीति बनाए।
(फारवर्ड प्रेस के फरवरी, 2015 अंक में प्रकाशित )
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