नई दिल्ली : अंतत: 16 जनवरी, 2015 को नरेंद्र मोदी कैबिनेट के दलित चेहरे थावरचंद्र गहलोत, जो सामाजिक न्याय व आधिकारिता मंत्री हैं, ने सरकार की ‘दलित उद्यम पूंजी निधि’ (दलित वेंचर कैपिटल) की स्थापना की घोषणा कर दी। निधि का प्रबंधन करने के अतिरिक्त, आईएफसीआई उसमें रूपये 50 करोड़ का अंशदान भी देगा। हालांकि भाजपा सरकार के इस फैसले से दलित उद्योगपति बहुत आशान्वित नजर नहीं आ रहे हैं।
दरअसल दलित इंडियन चेंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (डिक्की) इस प्रकार की किसी भी निधि का प्रबंधन स्वयं के अथवा अपने सहयोगी संगठनों के हाथों में रखने की इच्छुक थी। ‘दलित उद्यम पूंजी निधि’ (दलित वेंचर कैपिटल) का ‘स्वागत’ करते हुए डिक्की के दिल्ली चेप्टर के अध्यक्ष एन.के. चंदन कहते हैं कि ”नि:संदेह आईएफसीआई को उद्यम, पूंजी निधियों का निर्माण और प्रबंधन करने का लगभग छ: दशक का अनुभव है। परंतु डिक्की के पूरे देश में लगभग 3,000 सदस्य हैं। डिक्की यह सुनिश्चित करने में सक्षम है कि जो लोग इस निधि से वित्त पोषण के लिए आवेदन देंगे वे दलित और इसके लिए पात्र हों। अत: बेहतर यह होता कि अपनी निधि प्रारंभ करने की बजाए सरकार डिक्की की एसएमई निधि की मदद करती”।
(फारवर्ड प्रेस के फरवरी, 2015 अंक में प्रकाशित )
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