नई दिल्ली : केन्द्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय ने यह सुझाव दिया है कि स्वास्थ्य सुविधा पाने को नागरिकों के मूल अधिकार का दर्जा दिया जाए। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2015 के मसविदे में यह प्रस्तावित किया गया है कि स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने से इंकार को अपराध घोषित किया जाए। पिछली स्वास्थ्य नीति लागू होने के 13 साल बाद आए इस मसविदे को सार्वजनिक कर, संबंधित व्यक्तियों से सुझाव व टिप्पणियां आमंत्रित की गईं हैं। नई नीति में सभी के लिए स्वास्थ्य, मातृ मृत्यु दर में कमी लाने, निशुल्क दवाओं व टेस्टों व कानूनों को वर्तमान समय के अनुरूप बनाने की बात भी कही गई है। नीति में प्रस्ताव किया गया है कि स्वास्थ्य सुविधाओं पर खर्च को सकल घरेलू उत्पाद के 2.5 प्रतिशत (रूपये 3,800 प्रति व्यक्ति) तक बढ़ाया जाए व सरकारी अस्पतालों में सभी को मुफ्त दवाओं व स्वास्थ्य परीक्षणों की सुविधा उपलब्ध हो। राष्ट्रीय स्वास्थ्य अधिकार अधिनियम के अंतर्गत राज्यों को अधिनियम को लागू करने या न करने का विकल्प उपलब्ध होगा।
(फारवर्ड प्रेस के फरवरी, 2015 अंक में प्रकाशित )
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