नई दिल्ली : समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने प्रतिष्ठित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में शिक्षक पदों पर भर्ती की प्रक्रिया पर प्रश्न उठाते हुए कहा है कि एससी, एसटी व ओबीसी के लिए आरक्षित पदों में से 40 प्रतिशत से अधिक खाली पड़े हैं। यह इस तथ्य के बावजूद कि योग्य उम्मीदवारों ने इन पदों के लिए आवेदन किया था। जब यादव ने इस मुद्दे को राज्यसभा में उठाया, तब जदयू नेता शरद यादव ने उनका समर्थन करते हुए कहा कि संस्थान के नवनियुक्त निदेशक एमसी मिश्रा ”जानते-बूझते” आरक्षित पदों पर नियुक्तियां नहीं कर रहे हैं। ”अगर इस भर्ती को न रोका गया तो अगले दस वर्षों तक एससी, एसटी व ओबीसी संस्थान में शिक्षक पदों पर नियुक्त नहीं हो सकेंगे। या तो इस भर्ती को तुरंत रोकें या फिर नियमों का पालन सुनिश्चित करें’। केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान द्वारा इस मामले में हस्तक्षेप के बाद, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने संस्थान और वहां के शिक्षकों से उनका पक्ष प्रस्तुत करने को कहा है और वे इससे संबंधित विभिन्न रपटों का अध्ययन भी कर रहे हैं।
(फारवर्ड प्रेस के फरवरी, 2015 अंक में प्रकाशित )
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