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पोस्ट डॉक्टरेट फेलोशिप परिणामों में ओबीसी का स्पष्ट उल्लेख क्यों नहीं?

यूजीसी द्वारा दिये जाने वाले पोस्ट डॉक्टरल फेलोशिप को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा की जा रही है। चयनित शोधार्थियों की सूची में आरक्षित वर्गों का उल्लेख नहीं किया जा रहा है। इसके कारण यह स्पष्ट नहीं हो पाता है कि आरक्षित वर्ग के कितने शोधार्थियों को फेलोशिप दी गयी। फारवर्ड प्रेस की खबर :

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा चार पोस्ट डॉक्टरल फेलोशिप दी जाती हैं। इनमें दो फेलोशिप महिला और पुरुष दोनों के लिए है तथा एक महिलाओं के लिए आरक्षित है। सरकारी नियमों के अनुसार इन तीनों फेलोशिपों में अन्य पिछडा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षण की व्यवस्था है। इनमें से दो फेलोशिप में यूजीसी ने फेलोशिप पाने वालों की सूची में वर्गों का उल्लेख किया गया, लेकिन दो फेलोशिप की सूची में उसने यह नहीं बताया कि इनमें कितने ओबीसी, कितने एससी और कितने एसटी हैं, तथा कितनों ने सामान्य कोटे के तहत फेलोशिप पाई है।

इन फेलोशिपों के लिए आवेदन करने वालों का कहना है कि सूची के पारदर्शी नहीं होने के कारण आरक्षित वर्गों, विशेषकर ओबीसी के आरक्षण की हकमारी होती है। जबकि दूसरी ओर यूजीसी की एक और पोस्ट डॉक्टरल फेलोशिप एससी व एसटी के लिए भी है। इस फेलोशिप के लिए जारी होने वाली सूची में स्पष्ट उल्लेख होता है कि कौन सा उम्मीदवार एससी है और कौन सा एसटी। ऐसे में सवाल यह उठता है कि एसएसी, एसटी के लिए आरक्षित फेलोशिप की सूची अगर पारदर्शी तरीके के जारी की जाती है तो अन्य फेलोशिपों की सूची को भी वर्गवार जारी करने में क्या बाधा है?

बहुजन हितों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं का कहना है कि अन्य तीन फेलोशिपों में ‘सामान्य’ कोटे के तहत द्विज तबकों से आने वाले शोधार्थियों को अधिकांश फेलोशिप बांट दी जाती है। इस फर्जीवाडे के उजागर होने के भय से ही सूची में अभ्यर्थियों का वर्गवार उल्लेख नहीं किया जाता है।

इन दो फेलोशिपों में होता है फर्जीवाडा

यूजीसी जिन दो फेलोशिपों में वर्गवार सूची जारी नहीं करता, उनके नाम हैं – ‘डा. एस. राधाकृष्णन पोस्ट डॉक्टरल फेलोशिप इन ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंसेज’, और ‘पोस्ट डॉक्टरल फेलोशिप टू वुमेन कैंडिडेट्स’।

यूजीसी, नई दिल्ली

राधाकृष्णन फेलोशिप इन ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंसेज

‘डा. एस. राधाकृष्णन पोस्ट डॉक्टरल फेलोशिप इन ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंसेज’ फेलोशिप की अवधि तीन वर्ष की है। इसके तहत अभ्यर्थियों को पहले साल के लिए 38 हजार 800 रुपए, दूसरे वर्ष 40 हजार 300 रुपए और तीसरे वर्ष के लिए 41 हजार 900 रुपए दिये जाते हैं। इसके अलावा वे कंटिजेंसी फंड के तहत प्रत्येक वर्ष 50 हजार रुपए खर्च कर सकते हैं। इसके तहत ओबीसी, एससी और एसटी वर्ग को आरक्षण का प्रावधान है[1]। यूजीसी की वेबसाइट पर जारी जानकारी के अनुसार वर्ष 2017-18 में कुल 190 स्कालर्स को यह फेलोशिप दी गयी है। परंतु जो सूची[2] जारी की गयी है, उसमें वर्गवार उल्लेख नहीं किया गया। यानी आप इसकी सूची यह जान सकते कि इनमें से कितनों ने एससी, एसटी और ओबीसी कोटे से फेलोशिप पाई तथा ‘सामान्य’ कोटे  में आरक्षण वर्ग के किसी शोधार्थियों को फेलोशिप मिली य नहीं? इन सवालों को उठाने वाले प्राध्ययापकों व शोधार्थियों का कहना है कि यूजीसी के अधिकारियों ने  ‘सामान्य’ कोटे को ‘सवर्ण’ कोटा बना दिया है।

पोस्ट डॉक्टरल फेलोशिप टू वुमेन कैंडिडेट्स

उच्च शिक्षा में महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए यूजीसी द्वारा इस फेलोशिप की शुरुआत की गयी है। यह फेलोशिप पीएचडी कर चुकीं बेरोजगार महिलाओं को विज्ञान, इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी, मानविकी और सामाजिक अध्ययन के क्षेत्र में शोध के लिए दी जाती है। इसकी अवधि 5 वर्षों की होती है। इसके लिए अधिकतम उम्र 55 वर्ष निर्धारित है। इस योजना के तहत ओबीसी, एससी, एसटी, विकलांग आदि के लिए आरक्षण[3] का प्रावधान है। इसके तहत पहले दो वर्षों के लिए प्रति वर्ष 25 हजार रुपए और शेष तीन वर्षों के लिए प्रति वर्ष 30 हजार रुपए दिये जाते हैं। इसके अतिरिक्त, स्कालर्स आवश्यकता पड़ने पर 50 हजार रुपए का अतिरिक्त व्यय कंटिजेंसी फंड के तहत कर सकते हैं। महिलाओं के लिए फेलोशिप के लिए चयनित 89 अभ्यर्थियेां की सूची[4] में भी आरक्षित वर्गों का स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है। यानी इस सूची से भी यह स्पष्ट नहीं होता है कि आरक्षण का प्रावधान होने के बावजूद आरक्षित वर्गों के कितने स्कालर्स को यह फेलोशिप मिली। यदि यह अलग-अलग वर्ग के हिसाब से सार्वजनिक किया जाता तो यह स्पष्ट होता।

इन फेलोशिप की सूची में किया गया वर्गवार उल्लेख

जिन दो फेलोशिप के चयनित शोधार्थियों की सूची में यूजीसी स्पष्ट रूप से वर्ग का उल्लेख करता है उनमेंपोस्ट डॉक्टरल फेलोशिप फॉर एससी एंड एसटी’ और ‘रमण फेलोशिप फॉर पोस्ट डॉक्टरल रिसर्च फॉर इन्डियन स्कॉलर्स इन यूएस’ शामिल हैं।

पोस्ट डॉक्टरल फेलोशिप फॉर एससी एंड एसटी’ के तहत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के स्कालर्स को फेलोशिप दी जाती है। इसके तहत वर्ष 2017-18 में चयनित अभ्यर्थियों की सूची अनुसूचित जाति[5] और अनुसूचित जनजाति[6] वर्ग के लिए अलग-अलग जारी की गयी।

इसके अलावा यूजीसी प्रत्येक वर्ष 300 भारतीय स्कालर्स को अमेरिका में उच्च शोध ‘रमण फेलोशिप फॉर पोस्ट डॉक्टरल रिसर्च फॉर इन्डियन स्कॉलर्स इन यूएस’ देता है। यह फेलोशिप मानविकी, समाज विज्ञापन, प्रकृति विज्ञान, इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी, कृषि विज्ञान और चिकित्सकीय विज्ञान में शोध के लिए य प्रदान की जाती है। इसके तहत अभ्यर्थी को 3000 डॉलर प्रतिमाह देय है। इस फेलोशिप की अवधि 6 से लेकर 12 माह की होती है। इस फेलोशिप योजना में भी ओबीसी, एससी और एसटी वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान[7] है। इसके तहत भी वर्ष 2015 में चयनित शोधार्थियों की जो सूची[8] जारी की गयी, उसमें वर्गों का स्पष्ट उल्लेख था।

बहरहाल, सवाल यही है कि यूजीसी को जब दो फेलोशिपों के शोधार्थियों की सूचियों में वर्गवार उल्लेख से परहेज नहीं है फिर दो फेलोशिप में जिनमें ओबीसी व अन्य आरक्षित वर्गों को आरक्षण का प्रावधान है, उनकी सूची में आरक्षित वर्गों का उल्लेख करने में संकोच क्यों होता है?

(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क/प्रमोद)


[1] राधाकृष्णन फेलोशिप में आरक्षण के नियम यहां देखें :

https://www.ugc.ac.in/pdfnews/6816229_DSRK-PDF-2017-18.pdf

[2] 2017-18 में राधाकृष्ण फेलोशिप पाने वाले 190 शोधार्थियों की सूची यहां देखें। इसमें वर्गवार उल्लेख नहीं है :  https://www.ugc.ac.in/pdfnews/1584753_revised-final-DSRPDFHS-.pdf

[3] महिलाओं के लिए फेलोशिप में आरक्षण के नियम यहां देखें

https://www.ugc.ac.in/pdfnews/7347918_PDFW.pdf

[4] 2017-18 में महिलाओं के लिए फेलोशिप पाने वाले 89 शोधार्थियों की सूची यहां देखें। इसमें भी वर्गवार उल्लेख नहीं हैं :

https://www.ugc.ac.in/pdfnews/2010095_PDF-for-Women-2017-18.pdf

[5] वर्ष 2017-18 में अनुसूचित जाति वर्ग के चयनित शोधार्थियों की पृथक सूची यहां देखें। इसे अनुसूचित जाति के लिए अलग से जारी किया गया है :

https://www.ugc.ac.in/pdfnews/5145290_PDF-for-SC-2017-18.pdf

[6] वर्ष 2017-18 में अनुसूचित जनजाति वर्ग के चयनित शोधार्थियों की सूची भी पृथक रूप से जारी की गयी है। सूची यहां देखें :

https://www.ugc.ac.in/pdfnews/1557989_PDF-for-ST-2017-18.pdf

[7] रमण फेलोशिप में आरक्षण संबंधी नियम यहां देखें :

https://www.amu.ac.in/newtenders/9532.pdf

[8] वर्ष 2015 में 183 स्कालर्स को रमण फेलोशिप दी गयी। इस सूची में वर्गों का स्पष्ट उल्लेख है। इसे यहां देखें : https://www.ugc.ac.in/pdfnews/5228152_Selected-Candidates.pdf


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कमल चंद्रवंशी

लेखक दिल्ली के एक प्रमुख मीडिया संस्थान में कार्यरत टीवी पत्रकार हैं।

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