h n

सरकार की दखलंदाजी के बाद जम्मू विवि के सभी विज्ञापित पद ओबीसी के लिए आरक्षित 

विश्वविद्यालय ने पूर्व में 20 मई 2019 को 12 पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी कर आवेदन मंगाये। इस विज्ञापन में सभी पद सामान्य वर्ग के लिए थे। केंद्र सरकार और यूजीसी के हस्तक्षेप के बाद पूर्व के विज्ञापन को रद्द कर नया विज्ञापन जारी किया गया है जिसमें सभी पद ओबीसी के लिए आरक्षित किए गए हैं 

केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू में विभिन्न शैक्षणिक पदों के लिए एक बार फिर ऑनलाइन आवेदन मांगे गए हैं। इस बार विभिन्न विभागों में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर पद के लिए सभी 12 रिक्तियां ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित की गई हैं। इससे पहले विश्वविद्यालय ने ओबीसी के हिस्से के इन पदों को सवर्ण उम्मीदवारों की देने योजना के तहत सभी पद अनारक्षित रखे थे। इस संबंध में पहल करते हुए  केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूजीसी ने दख़ल दिया। उसके बाद विश्वविद्यालय ने 12 जुलाई को संशोधित विज्ञापन जारी किया है।

विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. रवि कुमार के मुताबिक़ पूर्व में जारी विज्ञापन में तकनीकी ग़लती थी जिसे अब दूर कर लिया गया है। पहले के सभी आवेदन निरस्त माने जाएंगे और विश्वविद्यालय द्वारा अभ्यर्थियों से लिया गया शुल्क लौटाने की प्रक्रिया की जा रही है। अभ्यर्थी अब नए सिरे से ऑनलाइन आवेदन करें। इन 12 रिक्तियों के लिए आवेदन 18 जुलाई से ऑनलाइन भरे जा सकेंगे। आवेदन करने की आख़िरी तारीख़ 18 अगस्त है। आवेदन से जुड़ी तमाम जानकारी हासिल करने के लिए यहां क्लिक करें

8 अगस्त 2011 को स्थापित केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू का अस्थायी मुख्यालय जम्मू-कश्मीर के सांबा ज़िले स्थित बागला (राया-सूचानी) में है। जम्मू से क़रीब 25 किलोमीटर दूर राया-सूचानी विश्वविद्यालय का कैंपस निर्माणाधीन है

दरअसल, केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू ने 20 मई, 2019 को एक विज्ञापन जारी किया। इसके मुताबिक़ अंग्रेज़ी, नेशनल सिक्युरिटी स्टडीज़, सामाजिक कार्य और नैनो साइंसेज़ विभाग में एक-एक प्रोफेसर के अलावा विभिन्न विभागों में 8 पद एसोसिएट प्रोफेसर के भरे जाने थे। इसके लिए जो विज्ञप्ति जारी की गई उसमें सभी 12 पद अनारक्षित श्रेणी में थे। इसपर  मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूजीसी ने विश्वविद्यालय को भर्ती रोक देने के निर्देश दिए।

यह भी पढ़ें : फेलोशिप : क्यों और कौन सा राज छिपा रहा आईसीएसएसआर?

इसके आलोक में 9 जुलाई, 2019 को विश्वविद्यालय ने सूचना जारी कर भर्ती रद्द कर दी थी। विश्वविद्यालय ने आवेदन शुल्क के तौर पर ली गई राशि को भी लौटाने का फैसला किया। इसके बाद 12 जुलाई, 2019 को विश्वविद्यालय ने नई अधिसूचना जारी की है। इसके तहत अंग्रेज़ी, नेशनल सिक्युरिटी स्टडीज़, सामाजिक कार्य और नैनो साइंसेज़ विभाग में प्रोफेसर के चारों पद ओबीसी के लिए आरक्षित कर दिए गए हैं। इसके साथ ही वनस्पति विज्ञान, रसायन शास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी एवं भारतीय भाषा, मानव संसाधन प्रबंधन, टूरिज़्म, सामाजिक कार्य, नैनो साइंस और नेशनल सिक्युरिटी स्टडीज़ विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर का एक-एक पद ख़ाली है। इन सभी 8 पदों को ओबीसी के लिए आरक्षित कर दिया गया है।

 (फारवर्ड प्रेस उच्च शिक्षा जगत से संबंधित खबरें प्रकाशित करता रहा है। हाल के दिनों में कई विश्वविद्यालयों द्वारा नियुक्तियों हेतु विज्ञापन निकाले गए हैं। इन विज्ञापनों में आरक्षण और रोस्टर से जुड़े सवालों को भी हम  उठाते रहे हैं; ताकि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में दलित-बहुजनों समुचित हिस्सेदारी हो सके। आप भी हमारी इस मुहिम का हिस्सा बन सकते हैं। नियोजन संबंधी सूचनाओं, खामियों के संबंध में हमें editor@forwardmagazine.in पर ईमेल करें। आप हमें 7004975366 पर फोन करके भी सूचना दे सकते हैं)

 

(कॉपी संपादन : नवल)


फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्‍स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, सस्‍क‍ृति व सामाजिक-राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्‍स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +917827427311, ईमेल : info@forwardmagazine.in

फारवर्ड प्रेस की किताबें किंडल पर प्रिंट की तुलना में सस्ते दामों पर उपलब्ध हैं। कृपया इन लिंकों पर देखें 

बहुजन साहित्य की प्रस्तावना 

दलित पैंथर्स : एन ऑथरेटिव हिस्ट्री : लेखक : जेवी पवार 

महिषासुर एक जननायक’

महिषासुर : मिथक व परंपराए

जाति के प्रश्न पर कबी

चिंतन के जन सरोकार

लेखक के बारे में

सैयद ज़ैग़म मुर्तज़ा

उत्तर प्रदेश के अमरोहा ज़िले में जन्मे सैयद ज़ैग़़म मुर्तज़ा ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से लोक प्रशासन और मॉस कम्यूनिकेशन में परास्नातक किया है। वे फिल्हाल दिल्ली में बतौर स्वतंत्र पत्रकार कार्य कर रहे हैं। उनके लेख विभिन्न समाचार पत्र, पत्रिका और न्यूज़ पोर्टलों पर प्रकाशित होते रहे हैं।

संबंधित आलेख

गुरुकुल बनता जा रहा आईआईटी, एससी-एसटी-ओबीसी के लिए ‘नो इंट्री’
आईआईटी, दिल्ली में बायोकेमिकल इंजीनियरिंग विभाग में पीएचडी के लिए ओबीसी और एसटी छात्रों के कुल 275 आवेदन आए थे, लेकिन इन वर्गों के...
बहुजन साप्ताहिकी : बिहार के दलित छात्र को अमेरिकी कॉलेज ने दाखिले के साथ दी ढाई करोड़ रुपए की स्कॉलरशिप
इस बार पढ़ें रायपुर में दस माह की बच्ची को मिली सरकारी नौकरी संबंधी खबर के अलावा द्रौपदी मुर्मू को समर्थन के सवाल पर...
बहुजन साप्ताहिकी : सामान्य कोटे में ही हो मेधावी ओबीसी अभ्यर्थियों का नियोजन, बीएसएनएल को सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश
इसके अलावा इस सप्ताह पढ़ें तमिलनाडु में सीयूईटी के विरोध में उठ रहे स्वर, पृथक धर्म कोड के लिए दिल्ली में जुटे देश भर...
एमफिल खत्म : शिक्षा नीति में बदलावों को समझें दलित-पिछड़े-आदिवासी
ध्यातव्य है कि इसी नरेंद्र मोदी सरकार ने दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा 2013 में शुरू की गई चार वर्षीय पाठ्यक्रम को वापस कर दिया था।...
गुरुकुल बनते सरकारी विश्वविद्यालय और निजी विश्वविद्यालयों का दलित-बहुजन विरोधी चरित्र
हिंदू राष्ट्रवाद का जोर प्राचीन हिंदू (भारतीय नहीं) ज्ञान पर है और उसका लक्ष्य है अंग्रेजी माध्यम से और विदेशी ज्ञान के शिक्षण को...