देश के शीर्ष प्रौद्योगिकी संस्थानों में शुमार इन्डियन इन्स्टीच्यूट ऑफ टेक्लोलॉजी (आईआईटी) और भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) में बड़ी संख्या में छात्र पढ़ाई बीच में ही छोड़ रहे हैं। सरकार के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक़ इनमें सबसे अधिक ओबीसी वर्ग के छात्र हैं। सामान्य मान्यताओं के विपरीत इनका ड्रॉपआइट रेट अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्रों से भी ज़्यादा है।
25 जुलाई,2019 को राज्य सभा में वाईएसआर कांग्रेस सांसद वि. विजय साई रेड्डी के एक सवाल के जवाब में मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बताया है कि पिछले दो वर्षों के दौरान आईआईटी में 2461 छात्रों ने अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ी। इनमें 1290 सामान्य श्रेणी के हैं, जबकि 1171 आरक्षित श्रेणी के हैं। आरक्षित श्रेणी में सबसे ज़्यादा 601 छात्र ओबीसी वर्ग के, 371 छात्र एससी और 199 एसटी वर्ग के हैं। यानी आईआईटी से ड्रॉपआउट करने वाले छात्रों में सामान्य वर्ग के 52.4 फीसदी, अनुसूचित जाति के 15.07 फीसदी, अनुसूचित जनजाति के 8.08 फीसदी और ओबीसी के 24.42 फीसदी हैं। देखें सारणी
आईआईटी में पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों की संख्या
क्रम | आईआईटी कैंपस | ड्रॉपआउट करने वाले कुल छात्र | एससी | एसटी | ओबीसी |
---|---|---|---|---|---|
1 | बॉम्बे | 263 | 37 | 12 | 66 |
2 | दिल्ली | 782 | 111 | 84 | 161 |
3 | कानपुर | 1 90 | 18 | 5 | 61 |
4 | मद्रास | 128 | 14 | 6 | 38 |
5 | खड़गपुर | 622 | 120 | 63 | 140 |
6 | गुवाहाटी | 12 | 3 | 5 | 2 |
7 | रुड़की | 57 | 14 | 5 | 38 |
8 | बीएचयू | 7 | 0 | 0 | 0 |
9 | हैदराबाद | 85 | 8 | 4 | 25 |
10 | पटना | 92 | 8 | 2 | 25 |
11 | जोधपुर | 21 | 3 | 0 | 7 |
12 | भुवनेश्वर | 39 | 8 | 2 | 9 |
13 | गांधीनगर | 4 | 2 | 1 | 1 |
14 | इंदौर | 50 | 6 | 3 | 8 |
15 | रोपड़ | 34 | 8 | 4 | 8 |
16 | मंडी | 34 | 3 | 0 | 6 |
17 | तिरुपति | 18 | 6 | 3 | 3 |
18 | पलक्कड़ | 2 | 1 | 0 | 0 |
19 | भिलाई | 5 | 0 | 0 | 0 |
20 | जम्मू | 6 | 0 | 0 | 0 |
21 | गोवा | 0 | 0 | 0 | 0 |
22 | धारवाड़ | 1 | 0 | 0 | 1 |
23 | आईएसएम, धनबाद | 9 | 1 | 0 | 2 |
कुल | 2461 | 371 | 199 | 601 |
बीच मे पढ़ाई छोड़ने वाले सबसे ज़्यादा 782 छात्र आईआईटी, दिल्ली के हैं। आईआईटी खड़गपुर में 622 और आईआईटी, बॉम्बे में 263 छात्र पढ़ाई बीच में छोड़ कर चले गए। सरकार की ओर से बताया गया कि बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले अधिकतर छात्र स्नातकोत्तर और पीएचडी कोर्स में पंजीकृत थे।

चलते शैक्षणिक सत्र के दौरान पढ़ाई छोड़ने की समस्या सिर्फ आईआईटी में ही नहीं है, बल्कि शीर्ष प्रबंधन संस्थान आईआईएम भी इस समस्या से जूझ रहे हैं। आईआईएम में कुल 99 छात्रों ने बीच में पढ़ाई छोड़ी है। इसमें भी ओबीसी वर्ग के छात्रों की संख्या अधिक है। सरकार के आंकड़ों के अनुसार आईआईएम की पढ़ाई छोड़ने वाले 99 छात्रों में 37 छात्र सामान्य श्रेणी के हैं, जबकि 62 छात्र आरक्षित श्रेणी के हैं। आरक्षित श्रेणी में 14 छात्र एससी, 21 छात्र एसटी और 27 छात्र ओबीसी वर्ग के हैं। प्रतिशत के आधार पर कहें तो आईआईएम से ड्रॉप आउट करने वाले छात्रों में सामान्य वर्ग के छात्र 37.37 फीसदी, अनुसूचित जाति के 14.14 फीसदी, अनुसूचित जनजाति के 21.21 फीसदी और ओबीसी के 27.27 फीसदी हैं।
आईआईएम में बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों की संख्या
क्रम | आईआईएम कैंपस | ड्रॉपआउट करने वाले कुल छात्र | एससी | एसटी | ओबीसी |
---|---|---|---|---|---|
1 | अहमदाबाद | 3 | 1 | 0 | 1 |
2 | बैंगलोर | 2 | 0 | 1 | 1 |
3 | कोझिकोड | 12 | 2 | 2 | 3 |
4 | लखनऊ | 9 | 0 | 6 | 1 |
5 | इंदौर | 17 | 2 | 4 | 3 |
6 | कलकत्ता | 5 | 1 | 2 | 1 |
7 | शिलांग | 0 | 0 | 0 | 0 |
8 | रोहतक | 0 | 0 | 0 | 0 |
9 | रायपुर | 5 | 1 | 0 | 0 |
10 | रांची | 0 | 0 | 0 | 0 |
11 | उदयपुर | 0 | 0 | 0 | 0 |
12 | तिरुचिरापल्ली | 12 | 3 | 1 | 3 |
13 | काशीपुर | 13 | 0 | 2 | 11 |
14 | अमृतसर | 2 | 1 | 0 | 0 |
15 | नागपुर | 3 | 0 | 1 | 0 |
16 | सिरमौर | 0 | 0 | 0 | 0 |
17 | संबलपुर | 0 | 0 | 0 | 0 |
18 | विशाखापत्तनम | 4 | 1 | 1 | 0 |
19 | बोधगया | 4 | 0 | 1 | 0 |
20 | जम्मू | 8 | 2 | 0 | 3 |
कुल | 99 | 14 | 21 | 27 |
यह सर्वविदित है कि आरक्षित वर्गों के छात्र विषमताओं से गुजरते हुए इन उच्च प्रौद्योगिकी संस्थानों में दाखिला ले पाते हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर वे क्या वजह हैं जिनके कारण आरक्षित वर्ग के छात्र पढ़ाई बीच में छोड़ देने को मजबूर हो जाते हैं?

हालात ऐसे हैं कि केंद्र सरकार को इस संबंध में उत्तर देते नहीं बन रहा है। संसद में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा संसद में दिए गए जवाब के मुताबिक़ ड्रॉप आउट के पीछे कई कारण हैं। मसलन, अन्य कॉलेजों/संस्थानों में स्थानांतरण, चिकित्सा संबंधी कारण, स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के दौरान प्लेसमेंट, उच्चतर शिक्षा के लिए विदेशों का रुख़ करने के अलावा कुछ छात्र व्यक्तिगत वजहों से भी पढ़ाई बीच में छोड़ रहे हैं।
आईआईटी के पूर्व छात्र रहे अली हसनैन बताते हैं कि भले ही मीडिया में एक करोड़ और दो करोड़ सालाना पैकेज की ख़बरें आती हैं, लेकिन औसत छात्रों को शुरुआत में 8-10 लाख रुपये की नौकरी तलाशना मुश्किल हो जाता है। हाल ही में एक रिपोर्ट आयी जिसमें बताया गया कि आईआईटी से स्नातक करने वाले 15 से 20 फीसदी छात्रों को कैंपस प्लेसमेंट नहीं मिलता। इनमें अधिकतर छात्र आरक्षित श्रेणी के होते हैं।
(कॉपी संपादन : नवल)
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